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Atishi Resignation: आतिशी का इस्तीफा और आप की हार, क्या दिल्ली में महिला नेतृत्व का अंत?

Atishi Resignation : 9 फरवरी 2025 को जब चुनाव के नतीजे आए, तो भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया और 26 साल बाद सत्ता में वापसी की. आम आदमी पार्टी सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई. इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए आतिशी आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगी.  

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Atishi Resignation Today: आतिशी का इस्तीफा और आप की हार, क्या दिल्ली में महिला नेतृत्व का अंत?
Atishi Resignation Today: आतिशी का इस्तीफा और आप की हार, क्या दिल्ली में महिला नेतृत्व का अंत?
PUSHPENDER KUMAR|Updated: Feb 09, 2025, 12:39 PM IST
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Atishi Resignation : दिल्ली की राजनीति में महिलाओं का नेतृत्व लंबे समय से प्रभावी रहा है. 1998 से 2025 तक राजधानी ने तीन महिला मुख्यमंत्रियों में सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और हाल ही में आतिशी इस पद पर रही. इन तीनों महिला नेताओं ने अलग-अलग दौर में दिल्ली की बागडोर संभाली, लेकिन प्रत्येक का कार्यकाल अपने राजनीतिक संदर्भ और नीतिगत फैसलों के कारण याद किया जाता है. दिल्ली की राजनीति में महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है. सुषमा स्वराज ने अपनी पार्टी को मजबूत किया, शीला दीक्षित ने दिल्ली का विकास किया और आतिशी ने मुश्किल समय में अपनी पार्टी को संभालने की कोशिश की. आप की हार के बाद रविवार को आतिशी ने इस्तीफा दे दिया. अब देखना होगा कि आने वाले समय में कोई और महिला नेता दिल्ली की बागडोर संभालती है या नहीं.

सुषमा स्वराज: संक्षिप्त लेकिन प्रभावी नेतृत्व
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ. उन्होंने 12 अक्टूबर 1998 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उनका कार्यकाल मात्र 52 दिनों का रहा. यह संक्षिप्त कार्यकाल भाजपा की राजनीतिक रणनीति और दिल्ली की बदलती राजनीतिक परिस्थिति का परिणाम था. हालांकि, इतने कम समय में भी उन्होंने दिल्ली में स्वच्छ प्रशासन और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया.

शीला दीक्षित: दिल्ली के पुनर्निर्माण की सूत्रधार
सुषमा स्वराज के बाद दिल्ली की सत्ता कांग्रेस के हाथों में आई और शीला दीक्षित ने 3 दिसंबर 1998 को मुख्यमंत्री पद संभाला. उनका कार्यकाल 15 साल और 25 दिनों तक चला, जो दिल्ली के इतिहास में किसी भी मुख्यमंत्री का सबसे लंबा कार्यकाल था. शीला दीक्षित ने अपने शासनकाल में दिल्ली के बुनियादी ढांचे में बड़े बदलाव किए. फ्लाईओवर, मेट्रो परियोजनाओं और शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार उनके नेतृत्व की पहचान बने. हालांकि, 2013 में आम आदमी पार्टी के उदय और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते कांग्रेस को सत्ता से बेदखल होना पड़ा.

आतिशी: सबसे कम समय, सबसे बड़ी चुनौतियां
21 सितंबर 2024 को आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. यह कार्यकाल न केवल आम आदमी पार्टी बल्कि दिल्ली की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुआ. मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण पार्टी की पूरी जिम्मेदारी आतिशी के कंधों पर आ गई थी. हालांकि, भ्रष्टाचार के आरोपों, प्रशासनिक अव्यवस्था और जनता के भीतर बढ़ती नाराजगी के कारण आम आदमी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा.

आज इस्तीफा देंगी आतिशी
9 फरवरी 2025 को जब चुनाव परिणाम आए, तो भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया, जिससे 26 साल बाद पार्टी की सत्ता में वापसी हुई. आम आदमी पार्टी मात्र 22 सीटों पर सिमट गई. इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए आतिशी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगी. 

दिल्ली के लिए नया राजनीतिक युग?
भाजपा की सत्ता में वापसी से दिल्ली की राजनीति में नए बदलाव की उम्मीद है. आम आदमी पार्टी के वादों और उनके शासन की खामियों पर जनता ने अपने वोट के जरिए प्रतिक्रिया दी है. अब सवाल यह है कि भाजपा क्या उन मुद्दों को हल कर पाएगी जिन पर आम आदमी पार्टी विफल रही? और क्या दिल्ली की जनता महिला नेतृत्व की वापसी की संभावनाओं को फिर से देख पाएगी. दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. सुषमा स्वराज ने पार्टी नेतृत्व की साख बनाई, शीला दीक्षित ने दिल्ली का कायाकल्प किया और आतिशी ने संकट के दौर में पार्टी को संभालने की कोशिश की. अब देखना होगा कि भविष्य में फिर कोई महिला नेता दिल्ली की कमान संभाल पाएगी या नहीं.

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