Mustafabad VS Shiv vihar : दिल्ली के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी माहौल कुछ अलग है. जहां हर बार चुनाव विकास के मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए, इस बार नाम बदलने का विवाद केंद्रीय मुद्दा बन चुका है. चुनावी गलियारों में जनसभाओं का दौर जारी है इन सभाओं में भाजपा का एक मुद्दा बहुत तेजी से तुल पकड़ रहा है. दरअसल, सभाओं में भाषण दिए जा रहे है कि सत्ता में आने के बाद मुस्तफाबाद का नाम बदलकर 'शिव विहार' कर दिया जाएगा. भाजपा नेताओं के अनुसार 'मुस्तफाबाद' नाम मुस्लिम पहचान को दर्शाता है और इसे एक हिंदू नाम से बदलना क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के लिए जरूरी है.
चुनावी रणनीति या सांस्कृतिक बदलाव?
मुस्तफाबाद जो एक मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र है. इसमें भाजपा का यह कदम स्पष्ट रूप से उनके कोर वोट बैंक, यानी हिंदू मतदाताओं को साधने की कोशिश है. भाजपा की छोटी और बड़ी सभाओं में बार-बार यह बात दोहराई जा रही है कि क्षेत्र का नाम हिंदू संस्कृति के अनुकूल किया जाएगा. यह बयान जहां एक ओर भाजपा समर्थकों में उत्साह पैदा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रहे हैं.
मुख्य राजनीतिक मुकाबला
इस सीट पर चार प्रमुख दलों के बीच मुकाबला है. आम आदमी पार्टी ने आदिल खान को टिकट दिया है, जो अपने सामाजिक कार्यों के लिए क्षेत्र में लोकप्रिय हैं. कांग्रेस ने अली मेहंदी को मैदान में उतारा है, जो लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं. ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने दंगे के आरोपित ताहिर हुसैन पर दांव खेला है, जो अपने आप में एक विवादास्पद कदम है. भाजपा ने पहाड़ी समुदाय के मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है, जो इस क्षेत्र में भाजपा का नया चेहरा हैं.
सभाओं में स्थानीय मुद्दे गायब
चुनावी भाषणों और प्रचार में स्थानीय समस्याएं जैसे खराब सड़कें, जल निकासी की दिक्कतें और युवाओं के रोजगार जैसे मुद्दे कहीं खो गए हैं. 2020 के दंगों का जिक्र भाजपा के अभियानों में प्रमुख है, जबकि क्षेत्र की जनता अपनी मूलभूत जरूरतों के समाधान की उम्मीद कर रही है.
क्या कहती है जनता?
मुस्तफाबाद के कई निवासियों का कहना है कि चुनाव हर बार धर्म और पहचान की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमने लगता है, लेकिन जमीनी मुद्दे वही के वही रहते हैं. नाम बदलने की बहस से विकास कार्यों का ध्यान भटक रहा है, जो क्षेत्र की असल जरूरत है. यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बार किसे प्राथमिकता देती है. धर्म आधारित राजनीति को या क्षेत्र के विकास और कल्याण को.
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