Tahir Hussain Reached Mustafabad: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल गरमाने लगा है और इस बार मुस्तफाबाद सीट पर सियासी पारा चरम पर पहुंच चुका है. विवादित नेता ताहिर हुसैन जो लंबे समय से कानूनी शिकंजे में थे, अब पुलिस कस्टडी में रहते हुए चुनाव प्रचार में दिखाई दिए. उनकी मौजूदगी ने भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच एक नया राजनीतिक घमासान छेड़ दिया है. सवाल यह उठ रहा है कि क्या ताहिर हुसैन की एंट्री से मुस्तफाबाद की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
ताहिर हुसैन की मौजूदगी और AAP की स्थिति
ताहिर हुसैन कभी आम आदमी पार्टी के प्रभावशाली नेता माने जाते थे, लेकिन दंगों में कथित संलिप्तता के बाद उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो गई. हालांकि, उनके समर्थक अब भी इलाके में मजबूत पकड़ रखते हैं. इस चुनाव में उनकी मौजूदगी ने AAP को बैकफुट पर ला दिया है. पार्टी जहां खुद को उनके मामलों से अलग दिखाने की कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाकर AAP पर हमलावर हो गई है. AAP के नेताओं का कहना है कि पार्टी चुनाव में कानून व्यवस्था और विकास को मुख्य मुद्दा बना रही है और किसी भी विवादित व्यक्ति से उसका कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ताहिर हुसैन के समर्थक इस चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं, जिससे मुस्लिम बहुल इलाके में वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है.
भाजपा ने साधा निशाना, बदलेगा चुनावी गणित?
भाजपा इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ताहिर हुसैन की उपस्थिति को लेकर AAP पर निशाना साधा है और इसे 'अपराधियों के समर्थन' की राजनीति बताया है. भाजपा उम्मीदवार लगातार जनता के बीच जाकर यह संदेश दे रहे हैं कि वे मुस्तफाबाद को सुरक्षित और विकसित क्षेत्र बनाना चाहते हैं. इस बीच, कांग्रेस भी इस मामले पर अपनी रणनीति बनाने में जुटी है. पार्टी की कोशिश है कि वह मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में लाए और AAP और भाजपा के बीच चल रही जुबानी जंग का फायदा उठाए.
क्या मुस्तफाबाद बनेगा सियासी अखाड़ा?
ताहिर हुसैन की मौजूदगी ने मुस्तफाबाद को एक बड़ा चुनावी अखाड़ा बना दिया है. एक ओर भाजपा इसे मुद्दा बनाकर अपना जनाधार मजबूत करना चाहती है, वहीं AAP को अपने विकास कार्यों के दम पर जनता को समझाना होगा. कांग्रेस भी अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए जोर लगा रही है. अब देखना होगा कि यह विवाद मुस्तफाबाद के मतदाताओं को कितना प्रभावित करता है और क्या इससे दिल्ली चुनाव के नतीजों पर कोई असर पड़ेगा.
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