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Amanatullah Khan: भ्रष्टाचार और दंगों के आरोप भी नहीं रोक सके जीत, अमानतुल्लाह ने फिर मारी बाजी! जानें पूरा समीकरण

Delhi Election 2025: अमानतुल्लाह खान दिल्ली की राजनीति में एक बड़े नेता बन चुके हैं. वे सिर्फ विधायक ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ भी मानी जाती है. हालांकि, उनके राजनीतिक सफर में कई बार विवाद भी जुड़ते रहे हैं.

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Amanatullah Khan: भ्रष्टाचार और दंगों के आरोप भी नहीं रोक सके जीत, अमानतुल्लाह ने फिर मारी बाजी! जानें पूरा समीकरण
Amanatullah Khan: भ्रष्टाचार और दंगों के आरोप भी नहीं रोक सके जीत, अमानतुल्लाह ने फिर मारी बाजी! जानें पूरा समीकरण
PUSHPENDER KUMAR|Updated: Feb 09, 2025, 07:17 AM IST
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Delhi Election Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में ओखला सीट पर सबकी नजरें टिकी थीं. यह सीट इसलिए खास थी क्योंकि यहां से आम आदमी पार्टी (AAP) के कद्दावर नेता अमानतुल्लाह खान मैदान में थे, जो लगातार विवादों में रहे लेकिन हर बार जीतकर खुद को अजेय साबित करते आए हैं. इस बार भी उन्होंने अपने विरोधियों को करारी शिकस्त दी और जीत का सिलसिला बरकरार रखा. सवाल यह है कि आखिर इतने विवादों के बावजूद अमानतुल्लाह खान कैसे फिर से जीतने में कामयाब हुए? आइए, जानते हैं पूरा समीकरण.

अमानतुल्लाह पर लगे आरोप, फिर भी जनता ने क्यों दिया समर्थन?
अमानतुल्लाह खान दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा नाम बन चुके हैं. वे सिर्फ एक विधायक ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय में एक मजबूत पकड़ रखने वाले नेता भी हैं. हालांकि, उनके राजनीतिक सफर में कई विवाद भी जुड़े रहे हैं.

भ्रष्टाचार और अवैध भर्ती का मामला : अमानतुल्लाह पर दिल्ली वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार और अवैध भर्तियों के आरोप लगे. उन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने भी गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके समर्थकों ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया.

दंगों से जुड़ा विवाद : 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान भी उनका नाम विवादों में आया था. भाजपा ने उन्हें दंगों का मास्टरमाइंड तक बताया, हालांकि इसका कोई कानूनी आधार नहीं मिला.

कट्टरपंथी छवि का आरोप : अमानतुल्लाह पर कट्टरपंथी राजनीति करने और सिर्फ एक समुदाय विशेष के वोट बैंक पर निर्भर रहने के आरोप लगते रहे हैं. भाजपा ने इस चुनाव में उन्हें मुस्लिम तुष्टीकरण का चेहरा बताया. इसके बावजूद, जनता ने फिर से उन्हें चुन लिया. आखिर ऐसा क्यों हुआ?

अमानतुल्लाह की जीत का गणित
1. मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण
ओखला विधानसभा में मुस्लिम वोटरों की संख्या 60% से अधिक है. भाजपा ने अमानतुल्लाह के खिलाफ हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश की, लेकिन आम आदमी पार्टी का मजबूत संगठन और मुस्लिम बहुल इलाकों में पकड़ उन्हें फायदा पहुंचा गई.

2. स्थानीय मुद्दों पर पकड़
अमानतुल्लाह खान ने अपने क्षेत्र में कई विकास कार्य करवाए, खासकर सड़कों, सीवर लाइनों और बिजली-पानी की सुविधाओं को बेहतर बनाने का दावा किया. उनके समर्थकों का कहना है कि वे हमेशा अपने इलाके में मौजूद रहते हैं, जिससे जनता को उनसे सीधा जुड़ाव महसूस होता है.

3. आप की रणनीति का असर
AAP ने अमानतुल्लाह के खिलाफ लगे आरोपों को भाजपा की साजिश करार दिया और चुनाव प्रचार के दौरान इसे मुस्लिम वोटरों को लामबंद करने के लिए इस्तेमाल किया. नतीजा यह हुआ कि उन्हें न सिर्फ पहले से ज्यादा समर्थन मिला, बल्कि भाजपा और कांग्रेस उनके सामने कमजोर साबित हुए.

4. विपक्ष का कमजोर प्रदर्शन
भाजपा ने इस बार ओखला में बड़ा दांव खेला, लेकिन उसे हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से फायदा नहीं मिला. कांग्रेस का जनाधार पहले ही खत्म हो चुका था, जिससे मुकाबला एकतरफा हो गया और अमानतुल्लाह ने आसानी से जीत दर्ज कर ली.

क्या यह जीत अमानतुल्लाह की राजनीति को और ताकत देगी?
अमानतुल्लाह खान की इस जीत के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या वे अब दिल्ली की राजनीति में और बड़ा कद हासिल करेंगे? ओखला में उनकी पकड़ मजबूत हो चुकी है, लेकिन लगातार विवादों में घिरे रहना उनके राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा भी बन सकता है. भाजपा लगातार उनके खिलाफ नए मुद्दे उठाने की तैयारी में है और अगले चुनाव में उनके खिलाफ कोई नई रणनीति आजमाई जा सकती है, लेकिन फिलहाल, यह साफ है कि ओखला की जनता ने अमानतुल्लाह को एक बार फिर अपराजेय साबित कर दिया है.

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