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INDIA Alliance Meeting: INDIA गठबंधन की बैठक के बीच बड़ा सवाल, नीतीश को मिलेगा पद या किसी और रास्ते पर विचार

INDIA Alliance Meeting: सीट शेयरिंग को लेकर आज इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक हो रही है, जिसमें सीट बंटवारे को लेकर चर्चा जारी है. साथ ही बैठक में संयोजक का नाम भी तय किया जा सकता है. 

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INDIA Alliance Meeting: INDIA गठबंधन की बैठक के बीच बड़ा सवाल, नीतीश को मिलेगा पद या किसी और रास्ते पर विचार
Divya Agnihotri|Updated: Jan 13, 2024, 01:20 PM IST
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INDIA Alliance Meeting: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची लगातार जारी है. सीट शेयरिंग को लेकर आज इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक हो रही है, जिसमें सीट बंटवारे और संयोजक को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है. बैठक में गठबंधन के कई दिग्गज नेता शामिल हुए हैं. हालांकि, ममता बनर्जी इस बैठक का हिस्सा नहीं हैं. इस बीच बिहार में गठबंधन में सीट शेयरिंग पर घमासान मचा हुआ है. आरजेडी का कहना है कि सीटें बंट चुकी हैं. किसे, कितना हिस्सा मिलना है, सब कुछ पहले से तय किया जा चुका है. समय आने पर सीटों के बंटवारे का ऐलान भी कर दिया जाएगा. 

वहीं इंडिया गठबंधन के बड़े नेता लालू और नीतीश सीट शेयरिंग पर खामोशी की चादर ओढ़े नजर आ रहे हैं. सीटों की संख्या पर संभवतः रजामंदी हो चुकी है. तेजस्वी यादव ने सप्ताह भर पहले ही नीतीश कुमार से मुलाकात की थी, तब खबर निकलकर आई थी कि आरजेडी और जेडीयू ने 17-17-4-2 का सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय किया है. यानी 17-17 सीटों पर आरजेडी और जेडीयू के उम्मीदवार लड़ेंगे. कांग्रेस और वाम दलों के बीच छह सीटें बंटेंगी. 

बाद में जेडीयू के हवाले से 16-16-5-3 सीटों के फार्मूले की बात भी निकलक सामने आई. इंडी गठबंधन की बिहार इकाई के के दोनों बड़े दल आरजेडी-जेडीयू 16-16 सीटों पर लड़ेंगे. पांच सीटें कांग्रेस और तीन सीटें सीपीआई (एमएल) और सीपीआई के बीच बंटेंगी. हालांकि, यह बात तब आई, जब जेडीयू ने कहा कि 16 सीटों पर उसने पिछली बार जीत दर्ज की थी. इसलिए उससे कम का तो सवाल ही नहीं उठता.

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बिहार की राजनीतिक घटनाक्रम पर सूक्ष्म दृष्टि रखने वालों का कहना है कि जब नीतीश को किसी का साथ छोड़ना होता है तो वे पहले से ही ठोस बहाने तलाशने लगते हैं. साल 2017 में राजद का साथ छोड़ना था तो नीतीश ने तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई मामले को आधार बनाया. भाजपा का साथ छोड़ना था तो पहली बार नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी का बहाना बनाया और दूसरी बार भाजपा नेताओं के दबाव को कारण बता कर साथ छोड़ दिया. कहीं ऐसा तो नहीं कि नीतीश इंडी गठबंधन छोड़ने का बहाना तलाश रहे हैं? पहले इंडी गठबंधन का संयोजक न बनाने के सवाल पर जेडीयू में तिलमिलाहट थी. फिर कांग्रेस की लेट लतीफी को देखते हुए अकेले ही रैलियों-सभाओं का जेडीयू ने ऐलान कर दिया. अब सीट शेयरिंग को लेकर जेडीयू छटपटा रही है. कुछ दिनों से नीतीश और तेजस्वी साथ-साथ भी नहीं दिखे हैं. ऐसे में बिहार की राजनीति संक्रांति के बाद किस करवट बैठती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. 

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