Who will be Deputy CM of BJP: दिल्ली में भाजपा इस बार सत्ता में वापसी का सपना देख रही है. जहां मुख्यमंत्री पद का चेहरा केंद्र की अनुमति से तय होता है, वहीं उपमुख्यमंत्री का चेहरा स्थानीय राजनीति और समीकरणों पर आधारित हो सकता है. दिल्ली जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में यह पद सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि पार्टी के लिए राजनीतिक संदेश देने का एक महत्वपूर्ण जरिया है. अब देखना ये होगा कि भाजपा दिल्ली में किसको उपमुख्यमंत्री रूप में चुनेगी.
उपमुख्यमंत्री की दौड़ में संभावित चेहरे
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली में भाजपा के पास कुछ प्रमुख चेहरे हैं, जो इस पद के लिए प्रबल दावेदार हो सकते हैं. इनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता और संगठन के मजबूत व्यक्तित्व शामिल हैं. पहला नाम मनोज तिवारी का हो सकता है, जो पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं और पूर्वांचल समुदाय में गहरी पकड़ रखते हैं. उनका नाम भाजपा को पूर्वांचली मतदाताओं को जोड़ने में मदद कर सकता है. दूसरा बड़ा नाम विजेंद्र गुप्ता का है, जो दिल्ली विधानसभा में भाजपा के अनुभवी नेता माने जाते हैं. उनकी कार्यशैली और स्थानीय मुद्दों पर उनकी पकड़ उन्हें उपमुख्यमंत्री पद का मजबूत दावेदार बनाती है. इसके अलावा, रामवीर सिंह बिधूड़ी का नाम भी चर्चा में है, जो जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के प्रभाव को बढ़ाने में सक्षम हैं.
सामाजिक और राजनीतिक संतुलन का खेल
भाजपा के लिए दिल्ली जैसे बहुसांस्कृतिक राज्य में सामाजिक और राजनीतिक संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है. उपमुख्यमंत्री पद पर किसी ऐसे नेता को बिठाना होगा, जो न केवल प्रशासनिक क्षमता रखता हो, बल्कि जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को भी साध सके. दिल्ली में पूर्वांचल, जाट, गुर्जर और सिख समुदाय के बीच संतुलन बनाना पार्टी के लिए एक चुनौती होगी.
अमित शाह की रणनीति का असर
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार यह तय है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व विशेष रूप से अमित शाह इस फैसले में बड़ी भूमिका निभाएंगे. उन्होंने हमेशा चुनावी रणनीति में स्थानीय चेहरों को महत्व दिया है, लेकिन फैसले में पार्टी की दीर्घकालिक सोच का भी ख्याल रखा जाता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किसे इस पद के लिए चुनती है और यह फैसला किस तरह के राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जाएगा.
जनता की नजरें फैसले पर
दिल्ली के लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि भाजपा का उपमुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा. क्या पार्टी स्थानीय नेताओं में से किसी को चुनेगी या फिर किसी नए चेहरे को आगे लाएगी? यह निर्णय न केवल पार्टी के आंतरिक समीकरणों को प्रभावित करेगा, बल्कि मतदाताओं को भी यह संदेश देगा कि भाजपा दिल्ली के भविष्य को किस दृष्टि से देखती है.
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