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Delhi: मनीष सिसोदिया सोमवार और गुरुवार को इस चीज से चाहते हैं निजात, SC सुनवाई को हुआ तैयार

Aam Admi Party: सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा था कि लगभग 17 महीने की लंबी कारावास अवधि के कारण और मुकदमा शुरू न होने के कारण सिसोदिया को त्वरित न्याय का अधिकार नहीं मिला.

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Delhi: मनीष सिसोदिया सोमवार और गुरुवार को इस चीज से चाहते हैं निजात, SC सुनवाई को हुआ तैयार
Vipul Chaturvedi|Updated: Nov 22, 2024, 12:43 PM IST
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Supreame Court : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत शर्तों में राहत देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करने की सहमति दी. कोर्ट ने दिल्ली के कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में सिसोदिया को जमानत देते वक्त हर सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी के समक्ष हाजिर होने की शर्त रखी थी. सिसोदिया की याचिकाओं पर जस्टिस बी. आर गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने CBI और ED को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. 

9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को यह कहते हुए जमानत दी थी कि 17 महीने तक बिना मुकदमे के कारावास में रहना उनके त्वरित न्याय का अधिकार छीनने जैसा है. कोर्ट ने कहा था कि सिसोदिया को हर सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष हाजिर होना होगा. 

60 बार हो चुके हैं हाजिर 
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि सिसोदिया एक सम्मानित व्यक्ति हैं. वह  60 बार जांच अधिकारियों के समक्ष हाजिर हो चुके हैं. उन्होंने तर्क दिया कि अन्य आरोपियों पर भी  समान शर्तें लागू की गई थीं और प्रवर्तन निदेशालय ने अन्य आरोपियों के मामले में कोई आपत्ति नहीं जताई है. इस पर बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई पर हम इसे स्पष्ट करेंगे. कोर्ट ने दो सप्ताह बाद की अगली तारीख देते हुए जांच  एजेंसी को नोटिस जारी कर दिया. 

26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने किया था गिरफ्तार 
मनीष सिसोदिया को CBI ने 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था. 28 फरवरी 2023 को तत्कालीन डिप्टी सीएम ने  दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद  ED ने 9 मार्च को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. 

इन शर्तों पर मिली थी जमानत 
इस साल 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा था कि समय आ गया है कि निचली अदालतें और हाईकोर्ट यह सिद्धांत स्वीकार करें कि जमानत सामान्य है और कारावास अपवाद. लगभग 17 महीने की लंबी कारावास अवधि के कारण और मुकदमा शुरू न होने के कारण सिसोदिया को त्वरित न्याय का अधिकार नहीं मिला. कोर्ट ने सिसोदिया से 10 लाख रुपये के मुचलके और समान राशि के दो जमानतदार पेश करने को कहा था. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि वे अपना पासपोर्ट विशेष अदालत में जमा कराएं और गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्य को नष्ट करने की कोई कोशिश न करेंगे.

इनपुट: पीटीआई 

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