Delhi Pollution Control Committee: दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. राजधानी में वायु प्रदूषण की निगरानी का जिम्मा अब निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी हो रही है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने इस संबंध में टेंडर जारी कर दिया है और 30 सितंबर तक विशेषज्ञ एजेंसियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं. इस योजना के तहत चयनित एजेंसी को वायु प्रदूषण के स्तर और उसके प्रमुख कारणों पर नियमित रिपोर्ट तैयार करनी होगी. एजेंसी रोजाना, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी. साथ ही, मोबाइल मॉनिटरिंग लैब के जरिए दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में प्रदूषण के स्रोतों की पहचान की जाएगी. इन रिपोर्टों के आधार पर सरकार क्षेत्रवार कार्य योजना बनाएगी.
पुरानी योजना और विवाद
दिल्ली सरकार ने 2021 में आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट अध्ययन शुरू किया था. इसका उद्देश्य था कि वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान कर उसके अनुसार नीतियां बनाई जाएं. इस परियोजना के लिए आईआईटी कानपुर को 12.727 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था. हालांकि, यह परियोजना विवादों में घिर गई. डीपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष अश्विनी कुमार और दिल्ली सरकार के बीच मतभेद के चलते 30 जून 2024 को शुरू हुई 'सुपरसाइट' कुछ महीनों बाद बंद हो गई. इसके बाद फरवरी 2024 में हुई डीपीसीसी बोर्ड बैठक में अध्ययन को लेकर सवाल उठे और आगे की योजना अधर में लटक गई.
नई पहल और उम्मीदें
अब सरकार ने इस अध्ययन को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने 27 अगस्त को आदेश जारी कर कहा कि सर्दियों से पहले रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से चालू किया जाए. इसके तहत नई एजेंसी का चयन होगा और उसे एक साल का अनुबंध दिया जाएगा. 27 सितंबर को डीपीसीसी बोर्ड की अगली बैठक में इस नई पहल पर चर्चा होगी और तस्वीर साफ होगी.
उम्मीदें और भविष्य की राह
डीपीसीसी के सदस्य डॉ. अनिल गुप्ता के अनुसार बोर्ड बैठक के बाद ही आगे की योजना स्पष्ट होगी. साथ ही कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से हर साल लाखों लोगों की सेहत पर असर पड़ता है। सरकार की यह नई पहल अगर सही ढंग से लागू होती है, तो प्रदूषण के स्रोतों की पहचान और उसके अनुसार कार्य योजना से वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद की जा सकती है.
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