Yamuna Pollution: दिल्ली में यमुना नदी को साफ और स्वच्छ बनाने के लिए सरकार ने एक नई कार्ययोजना बनाई है. इसके तहत अब यमुना में गिरने वाले सभी छोटे-बड़े नालों की मैपिंग की जाएगी. इस मैपिंग के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि कौन-कौन से नाले किस हद तक नदी को प्रदूषित कर रहे हैं. इसके बाद इन नालों के गंदे पानी को शोधित करके ही यमुना में गिरने की अनुमति दी जाएगी. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने इस दिशा में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि किन नालों से कितना प्रदूषण यमुना में जा रहा है. इस रिपोर्ट के आधार पर अब पर्यावरण विभाग नई कार्ययोजना पर काम कर रहा है, जिससे यमुना में गिरने वाले गंदे पानी को रोका जा सके.
सबसे अधिक प्रदूषण वाले नाले
डीपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार यमुना को सबसे अधिक प्रदूषित करने वाला नजफगढ़ नाला है, जो कुल 59.93 प्रतिशत बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) लोड लेकर आता है. इसके बाद शाहदरा नाले की हिस्सेदारी 27.48 प्रतिशत है. इनके अलावा अन्य 10 नाले भी हैं, जो लगातार यमुना के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं.
बीओडी क्या है?
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) पानी की गुणवत्ता जांचने का एक प्रमुख मानक है. यह बताता है कि पानी में घुली ऑक्सीजन कितनी मात्रा में उपलब्ध है. अगर पानी में बीओडी स्तर तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होता है, तो उसे अच्छा माना जाता है. लेकिन अगर यह ज्यादा होता है, तो इसका मतलब है कि पानी में प्रदूषण ज्यादा है और ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है.
प्रदूषण रोकने के लिए उठाए जा रहे कदम
सरकार ने यमुना में गिरने वाले नालों पर रोक लगाने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को और अधिक प्रभावी बनाने की योजना बनाई है. अब सभी नालों के गंदे पानी को शोधित करने के बाद ही यमुना में गिराया जाएगा. इसके अलावा यमुना किनारे अवैध अतिक्रमण को हटाने और डूब क्षेत्र में कचरा डालने पर रोक लगाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं. सरकार का मानना है कि अगर यह योजना सही ढंग से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में यमुना नदी को साफ किया जा सकता है. यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि दिल्लीवासियों को भी स्वच्छ और शुद्ध जल उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.
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