Who is Noman Elahi: पानीपत में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस नोमान इलाही से रिमांड के दौरान कई अहम जानकारियां मिली हैं. वह ISI कमांडर इकबाल उर्फ काना के संपर्क में था. कैराना का रहने वाला नोमान देखते ही देखते पाकिस्तानी जासूस कैसे बन गया और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने भारत में अपनी साजिशों को अमलीजामा पहनाने के लिए नोमान को क्यों चुना.
दरअसल इकबाल उर्फ काना ने वेस्ट UP के युवाओं को ISI से जोड़ने का काम शामली के कलीम को सौंपा था. इसके लिए इकबाल ने उसे पाकिस्तान बुलाकर 14 महीनों तक ट्रेनिंग दिलवाई थी, लेकिन जब 2023 में मेरठ STF ने कलीम को गिरफ्तार कर लिया तो आईएसआई इस काम के लिए नया चेहरा तलाशने लगी.
इधर नोमान के पिता कैराना में पासपोर्ट बनवाने में मदद वाला काम करते थे, उनकी मौत के बाद नोमान यह काम करने लगा. इसी काम को करते समय वह पाकिस्तानी लोगों के संपर्क में आ गया. एक समय आया कि जब इकबाल और नोमान भी टच में आए. बातचीत के दौरान पता चला कि नोमान की बुआ और मौसी भी पाकिस्तान में रहती है. बस आईएसआई कमांडर ने तय कर लिया कि कलीम के बाद नोमान भारत के युवाओं को आईएसआई से जोड़ने का काम करेगा. नोमान अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए आसानी से पाकिस्तान आ सकता है और कोई शक भी नहीं करेगा, यह सोचकर उसने नोमान का माइंडवॉश कर दिया. उसने मोटी रकम का लालच देकर नोमान को हरियाणा-पंजाब में एजेंट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी.
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वॉट्सऐप चैट नोमान को श्रीनगर जाने के लिए कहा गया था, ताकि वह सेना की तैनाती, मूवमेंट और गतिविधियों की जानकारी भेज सके. हालांकि नोमान पाकिस्तान में की गई चैट को डिलीट कर देता था. लोगों को कोई शक न हो, इसलिए पानीपत की कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहा था.
दरअसल नोमान का हैंडलर इकबाल भी मूल रूप से कैराना का रहने वाला है. वह और उसका साथी दिलशाद पाकिस्तान से भेजे गए हथियारों और फेक करेंसी की तस्करी करते थे. सुरक्षा एजेंसियों की नजर इकबाल उस समय सामने आया, जब 1993 में दिल्ली स्पेशल सेल ने हथियारों का जखीरा बरामद किया.पकड़े गए आरोपियों ने ही पूछताछ के दौरान इकबाल का नाम लिया. इसकी भनक लगते ही इकबाल ने अपना बोरिया-बिस्तर उठाया और साथी दिलशाद के साथ पाकिस्तान भाग गया.