Parliament Security Breach: Jind News: संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हुई सुरक्षा चूक मामले में गिरफ्तार की गई जींद के गांव घसो कलां की नीलम के समर्थन में सयुंक्त किसान मौर्चा और खाप पंचायत उत्तर आई है. आज उचाना तहसील में पंचायत कर 3 फैसले लिए गए संयुक्त किसान मोर्चा के आजाद पालवां, सिक्किम सफाखेड़ी समेत कई लोग नीलम के परिवार के लोगों से पूरा समर्थन देते हुए कहा कि वह उनके साथ खड़े हैं. इस लड़ाई में नीलम के साथ लड़ेंगे लड़ाई. नीलम ने कोई गुनाह नहीं किया, बेरोजगारों की आवाज को बुलंद किया है.
नीलम आजाद की गिरफ्तारी और कोर्ट से 7 दिन का रिमांड मिलने के बाद गांव घसो में सन्नाटा पसर गया है और गांव में अभी शांति बनी हुई है. पुलिस प्रशासन या किसी एजेंसी की तरफ से अभी कोई भी गांव में परिवार के पास जांच आदि के लिए नहीं पहुंचा है.
किसान नेता आजाद पालवां ने बताया कि घसो की बेटी नीलम ने किसान, मजदूर, बेरोजगारों की आवाज का उठाने का काम किया. नीलम ने संसद के बाहर से अपनी आवाज उठाई है, उस पर लगाई गई धाराएं गलत हैं. उनकी मांग है कि नीलम को जल्द से जल्द रिहा किया जाए नहीं तो संयुक्त किसान मोर्चा कड़ा फैसला लेने पर मजबूर होगा.
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सयुंक्त किसान मौर्चा के संचालक आजाद पहलवान ने कहा बेटी नीलम के पक्ष में आज पंचायत खाप और कमेटी ने फैसला लेकर 3 प्रस्ताव पास किए हैं.
- पहला प्रस्ताव है किसान मजदूर युवाओं के रोजगार की आवाज उठाने के लिए बेटी नीलम को गिरफ्तार किया है, सरकार उसे तुरंत प्रभाव से रिहा करें.
- दूसरा जो संगीन यूएपीए की धारा लगाई गई है उस एक्ट को सरकार वापस लेने का काम करें.
- साथ ही यह प्रस्ताव भी पास किया है कि मीडिया के भाइयों से अपील की है इस मामले को दूसरी तरफ न ले जाए. मामले को तोड़-मोड़ कर न दिखए. इन युवकों की मंशा कोई गलत नहीं थी. इनकी मंशा सरकार को जगाने की थी.
उन्होंने कहा कि यह तीन प्रस्ताव पास किए हैं. हम सबका विश्वास चाहते हैं. सभी लोगों ने हाथ उठाकर समर्थन किया और आगामी पूरे हरियाणा की संयुक्त किसान मोर्चा से बात करके, सामाजिक संगठनों से बात करके, किसान संगठनों से बात करके खाप पंचायतें पूरे हरियाणा से बात करके अगर सरकार ने हमारे प्रस्ताव पर अमल नहीं किया तो कोई बड़ा फैसला लेने का काम करेंगे.
महिला किसान नेता सिक्कम श्योकंद ने बताया कि नीलम संविधान में विशवास रखने वाली बेटी है. उसने जो किया ठीक किया. हम विधानसभा और लोकसभा में बैठे लोग गूंगे नहीं है. बहुत बोलते है, लेकिन वे बहरे बने हुए है सरकार इमरजेंसी जैसे हालात से गुजर रहा है. आने-वाले समय मे श्रीलंका जैसे हालात होंने वाले हैं. कल तक हम फसल के लिए लड़ रहे थे आज हम नस्ल के लिए लड़ रहे है.
Input: गुलशन चावला