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AAP vs BJP: दिल्ली MCD मेयर की कुर्सी पर किसका होगा कब्जा? जानें पूरा समीकरण

Delhi Politics: दिल्ली में पिछले कुछ महीनों में आप के तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे अब बीजेपी के पार्षदों की संख्या 119 हो गई है. बीजेपी अब खुद को एमसीडी की सबसे बड़ी पार्टी बता रही है और महापौर की कुर्सी पर दावा कर रही है. यह चुनाव सिर्फ महापौर बनने की लड़ाई नहीं है, बल्कि दिल्ली की राजनीति में आगे के समीकरण तय करने वाला मुकाबला बन गया है.  

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AAP vs BJP: दिल्ली MCD मेयर की कुर्सी पर किसका होगा कब्ज़ा? जानें पूरा समीकरण
AAP vs BJP: दिल्ली MCD मेयर की कुर्सी पर किसका होगा कब्ज़ा? जानें पूरा समीकरण
PUSHPENDER KUMAR|Updated: Apr 12, 2025, 02:40 PM IST
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MCD Mayor Election: दिल्ली नगर निगम (MCD) का महापौर चुनाव एक बार फिर दिल्ली की राजनीति के केंद्र में आ गया है. 25 अप्रैल को होने जा रहे इस चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. एक ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) है, जिसने हाल ही में आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षदों को अपने पाले में खींचकर आंकड़ों में बढ़त बनाई है, वहीं दूसरी ओर आप पार्टी अपनी रणनीति को नए सिरे से मजबूत करने में जुटी है.

2022 के नगर निगम चुनावों में 'झाड़ू' लहराते हुए आम आदमी पार्टी ने 250 में से 134 वार्ड पर जीत हासिल की थी और नगर निगम की सत्ता पर कब्जा जमाया था. लेकिन वक्त ने करवट ली और पिछले कुछ महीनों में तीन AAP पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे बीजेपी की ताकत 119 पार्षदों तक पहुंच गई है. अब बीजेपी खुद को MCD में सबसे बड़ी पार्टी बताकर महापौर पद पर दावा ठोक रही है. इस बार का चुनाव सिर्फ एक पद की लड़ाई नहीं है, बल्कि दिल्ली की सियासत में भविष्य के समीकरण तय करने वाला युद्ध बन गया है. बीजेपी खेमे में इस समय महापौर पद के लिए राजा इकबाल सिंह, योगेश वर्मा और संदीप कपूर जैसे नाम चर्चा में हैं. पार्टी अंदरखाने चुनावी गणित को साधने की कोशिश में जुटी है.

वहीं, आप के नेता इस चुनाव को 'लोकतंत्र बनाम खरीद-फरोख्त' की लड़ाई बता रहे हैं. पार्टी का कहना है कि वो एक मजबूत और जनसमर्थन वाले उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी और पार्षदों के साथ लगातार बैठकें कर रही है. दिल्ली की राजनीति में एमसीडी चुनावों का अपना खास महत्व है. नगर निगम की नीतियां और योजनाएं सीधे राजधानी के लोगों के जीवन से जुड़ी होती हैं. ऐसे में यह चुनाव केवल MCD का नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश का जरिया भी बन गया है. अब सभी की नजरें 25 अप्रैल पर टिकी हैं. क्या बीजेपी अपनी चालों में सफल होगी और मेयर की कुर्सी पर काबिज हो पाएगी या फिर AAP अपनी सरकार के कामकाज के दम पर फिर से अपना दबदबा बनाए रखेगी, जो भी हो, दिल्ली की सियासत में एक बार फिर चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.

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