Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में घर बनाने और उद्योग स्थापित करने की योजना बना रहे लोगों को अब ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए संपत्ति की नई आवंटन दरों की घोषणा की है, जिसके तहत सभी श्रेणियों की संपत्तियों की दरों में औसतन 5% की वृद्धि की गई है. यह नई दरें 1 अप्रैल से लागू होंगी, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र में असर देखने को मिलेगा.
सभी जोनों में 5% की वृद्धि
प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा को चार जोनों में विभाजित किया है और सभी जोनों में संपत्तियों की दरें बढ़ाई गई हैं. इसमें औद्योगिक भूखंड, आईटी पार्क, डेटा सेंटर, आवासीय, वाणिज्यिक, बिल्डर और संस्थागत श्रेणियां शामिल हैं. बढ़ी हुई मांग और ई-नीलामी के आधार पर संपत्ति की दरों को संशोधित किया गया है.
श्रेणी |
नई दर (रुपये प्रति वर्ग मीटर) |
आवासीय |
33,481 से 49,588 |
औद्योगिक |
10,416 से 32,327 |
संस्थागत |
15,009 से 28,608 |
बिल्डर |
40,408 से 57,218 |
कमर्शियल (2 एफएआर) |
60,035 से 6 9,932 |
कमर्शियल (4 एफएआर) |
75,044 से 95,362 |
बढ़ी मांग के कारण दरों में वृद्धि
प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने बताया कि ग्रेटर नोएडा में जमीन की मांग बढ़ने के कारण यह निर्णय लिया गया है. संपत्तियों की कीमतें बढ़ने से प्राधिकरण को नीलामी में अधिक मूल्य प्राप्त हुए हैं, जिससे यह तय हुआ कि नई दरें बढ़ाई जाएं.
अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों से घर खरीदारों को लाभ
ग्रेटर नोएडा में कई बिल्डर परियोजनाएं रुकी हुई थीं, जिससे हजारों घर खरीदार परेशान थे. अमिताभ कांत समिति की सिफारिशें लागू होने से प्राधिकरण को बकाया रकम का कुछ हिस्सा मिला है और 35,494 खरीदारों को उनके घरों का मालिकाना हक मिला है. फरवरी 2024 से अब तक 15,406 फ्लैटों की रजिस्ट्री हो चुकी है. कुल 77 बिल्डर परियोजनाओं को इस योजना का लाभ मिला है, जिससे प्राधिकरण को 1,014 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है.
बिल्डरों पर सख्ती
प्राधिकरण ने उन बिल्डरों को अंतिम नोटिस जारी किया है, जिन्होंने योजना का लाभ लेने के बावजूद अपनी बकाया राशि जमा नहीं की है. यदि वे समय पर राशि नहीं चुकाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
क्या होगा असर?
संपत्तियों की कीमतों में बढ़ोतरी से घर खरीदने की लागत बढ़ेगी और औद्योगिक निवेशकों को भी अधिक धन खर्च करना पड़ेगा. हालांकि, इससे प्राधिकरण को अधिक राजस्व मिलेगा, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास में मदद मिलेगी.
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