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Delhi News: कोर्ट ने शरजील इमाम के खिलाफ आरोप तय किए, आरोपी की स्पीच पर भड़की थी हिंसा

Sharjeel Imam: शरजील इमाम ने एक स्पीच दी थी. इस स्पीच में शरजील इमाम ने मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर अपनी बात रखी, लेकिन उसमें दूसरे समुदायों के बारे में उल्लेख नहीं किया था.  

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Sharjeel Imam
Sharjeel Imam
Zee Media Bureau|Updated: Mar 09, 2025, 04:05 PM IST
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Delhi News: शरजील इमाम ने एक स्पीच दी थी, जो विवादों के बीच आ गई थी. इस स्पीच में शरजील इमाम ने मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर अपनी बात रखी, लेकिन उसमें दूसरे समुदायों के बारे में उल्लेख नहीं किया था. इस भाषण के बाद उत्तर भारत के कई बड़े शहरों में चक्का जाम की घटनाएं हुईं. इस चक्का जाम के दौरान असल में सबसे ज्यादा प्रभावित गैर-मुस्लिम समुदाय के लोग थे, जिन्होंने इस स्थिति का सामना किया.

CAA के समय दिया था भाषण
शरजील इमाम का भाषण ऐसे समय पर आया, जब देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. उनका भाषण इस तरह से तैयार किया गया था कि इसमें मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को भड़काने और अन्य समुदायों से नफरत की भावना को फैलाने की कोशिश की गई हो. इमाम ने मुस्लिम समुदाय को उत्तर भारत के बड़े शहरों में चक्का जाम के लिए उकसाया, जिससे समाज में तनाव और हिंसा फैलने की स्थिति बनी.

कोर्ट ने कही ये बात
इमाम की स्पीच को लेकर यह दलील दी जा रही है कि उनका भाषण नफरत और हिंसा फैलाने वाला था. क्योंकि उनका भाषण एक समुदाय के खिलाफ दूसरे समुदाय में नफरत और गुस्सा फैलाने वाला था. कोर्ट ने इस मामले पर कहा कि चक्का जाम को शांतिपूर्ण विरोध का तरीका नहीं माना जा सकता है. दिल्ली जैसे बड़े और घनी आबादी वाले शहर में, जहां हमेशा बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों की ओर जा रहे होते हैं, चक्का जाम उनकी जिंदगी के लिए खतरा बन सकता है. खासतौर पर अगर कोई गंभीर मरीज है और समय पर इलाज नहीं मिल पाता तो इससे उनकी जान भी जा सकती है. इसके अलावा, चक्का जाम की वजह से इमरजेंसी सेवाओं और जरूरी वाहनों का आना-जाना प्रभावित होता है, जो एक गंभीर समस्या पैदा करता है.

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ये आरोप किए गए तय 
साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं. इनमें धारा 153A (समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाना), धारा 143/147/148/149 (गैरकानूनी सभा), धारा 186 (अधिकारियों के काम में रुकावट डालना), धारा 353/332/333 (अधिकारियों पर हमला), धारा 308 (हत्या की कोशिश), धारा 427/435 (सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना), धारा 323 (मारपीट), धारा 341 (अवरोध करना), धारा 109 (किसी अपराध के लिए उकसाना) और धारा 120B (साजिश) शामिल हैं. इसके अलावा, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3/4 के तहत भी आरोप तय किए गए हैं.

Input: Abhishek Malviy

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