बाहरी दिल्ली : दिल्ली के बाहरी इलाके प्रेमनगर (किराड़ी) के लोगों के लिए 6 जनवरी का दिन बेहद खास था. लगभग 40 साल के लंबे इंतजार के बाद इस इलाके में पूर्व सीएम आतिशी के नेतृत्व में पहला सरकारी स्कूल खुला. भव्य इमारत, 72 कमरे, दो शिफ्टों में पढ़ाई और लड़कियों के लिए साइंस स्ट्रीम जैसी सुविधाएं देखकर इलाके के लोगों में उम्मीद की एक किरण जगी. लोगों को लगा कि अब उनके बच्चों को दूर-दूर स्कूल नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन अब, स्कूल के गेट पर लगे एक नोटिस ने उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. नोटिस में लिखा है- 'बिजली, पानी और सीवरेज की सुविधा पूरी होने तक स्कूल में कक्षाएं नहीं चल सकेंगी. कृपया तब तक अपने बच्चों को पहले वाले स्कूलों में ही पढ़ाएं.'
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस नोटिस को देखकर कई अभिभावक निराश होकर लौट रहे हैं. कुछ ने तो अपने बच्चों का नाम प्राइवेट स्कूल से कटवा दिया था, ताकि घर के पास बने इस नए स्कूल में दाखिला करा सकें. अब उनके बच्चे घर पर बैठे हैं और पढ़ाई रुक गई है. ऋषिपाल सिंह यादव जैसे कई अभिभावक हर दिन स्कूल के चक्कर काट रहे हैं. उनकी बेटी तीसरी कक्षा में थी और अब पिछले 10-12 दिन से घर पर है. ईश्वर चंद मौर्या कहते हैं कि वो डेढ़ महीने से कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई बताने को तैयार नहीं कि स्कूल कब शुरू होगा.
इस स्कूल की जमीन के लिए सामाजिक कार्यकर्ता मोहन पासवान ने 2019 में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. कोर्ट के आदेश पर डीडीए ने 41 रुपये में लगभग 4000 वर्गगज जमीन स्कूल के लिए दी थी. 2021 में निर्माण शुरू हुआ और 2024 में स्कूल बनकर तैयार हो गया. लेकिन अब हालत यह है कि निर्माण कार्य के लिए जो बिजली कनेक्शन था, वह ठेकेदार ने हटवा दिया. नई बिजली और पानी की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल कहते हैं कि यह शिक्षा के अधिकार का मजाक है. स्कूल बन गया, लेकिन पढ़ाई शुरू नहीं हो रही. शासन-प्रशासन को गरीबों के बच्चों की कोई चिंता नहीं. लोगों को अब बस इस बात की उम्मीद है कि गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल पूरी तरह चालू हो जाएगा, ताकि उनके बच्चों का भविष्य अंधेरे में न जाए.
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