Delhi Politics: अगर किसी मंत्री को मीटिंग में DM को बुलाना है तो इसकी अनुमति CS से ली जाएगी. दिल्ली सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के इस आदेश पर नया राजनीतिक बखेड़ा शुरू हो गया है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि भाजपा वालों ने लोकतंत्र का तमाशा बना दिया है.
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि सीएम ने अपनी कैबिनेट मंत्रियों के पर क़तर दिए हैं. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने मंत्रियों (प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंदर सिंह, कपिल मिश्रा, पंकज सिंह) के आधिकारों पर पाबंदी लगा दी है. अब ये मंत्री अपनी ही सरकार के डीएम को न तो किसी मीटिंग में बुला सकेंगे और न ही उन्हें अपने साथ फील्ड इंस्पेक्शन पर ले जा सकेंगे और अगर कोई मंत्री किसी जिलाधिकारी को अपनी मीटिंग में बुलाना चाहेगा तो इसके लिए उसे चीफ सेक्रेटरी से लिखित इजाजत लेनी पड़ेगी. बीजेपी वालों ने लोकतंत्र का तमाशा बना दिया है.
वहीं आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली सरकार का अहम महकमा है रेवेन्यू डिपार्टमेंट, जिसका जिम्मा खुद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पास है, ने एक विचित्र ऑर्डर निकाला है कि अगर किसी मंत्री को DM को मीटिंग में बुलाना है तो इसकी अनुमति CS से ली जाएगी. उन्होंने कहा, इस सरकार के अंदर चल क्या रहा है. इस सरकार में मात्र 6 मंत्री और एक सीएम है. क्या सीएम अपने मंत्रियों से कह नहीं सकती थी कि DM को मत बुलाया करो. क्या सीएम को लगता है मंत्री बेवजह DM को बुला लेता है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार में ALL IS NOT WELL है. सौरभ भारद्वाज ने सवाल किया- अब एक मंत्री जिसका प्रोटोकॉल CS से ऊपर है वो CS से पूछेगा कि DM को बुला ले या नहीं. आप नेता भारद्वाज ने कहा, सीएम का अपने मंत्रियों के साथ ही समन्वय नहीं है.
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दरअसल राजस्व विभाग ने एक आदेश जारी किया, जिसमें लिखा है कि कुछ मामलों में, राजस्व विभाग के अधिकारियों जैसे डीएम/एडीएम/एसडीएम को मंत्रियों या विधायकों द्वारा विभिन्न बैठकों के लिए बुलाया जा रहा है या निरीक्षण के लिए साथ चलने के लिए कहा जा रहा है, जिसकी वजह से डीएम कार्यालय के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. यह भी देखा गया है कि कई विभाग और एजेंसियां अक्सर अल्प सूचना पर और पूरे दिन जिला मजिस्ट्रेटों (डीएम) को शामिल करते हुए बैठकें बुलाती हैं. ऐसे में सभी विभागों को कुछ निर्देश दिए गए हैं.
इसके मुताबिक बैठक में डीएम को शामिल करने के इच्छुक सभी विभागों को पहले मुख्य सचिव, दिल्ली से पूर्व सहमति लेनी होगी. जहां भी संभव हो, डीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकों में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है, खासकर नियमित, समीक्षा या ब्रीफिंग बैठकों में, ताकि जमीनी स्तर पर जिले के काम में बाधा न आए. इसके अलावा किसी भी प्रस्तावित बैठक के लिए डीएम को कम से कम 48 घंटे पहले सूचना देनी होगी.
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