Delhi Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली और इसके पड़ोसी राज्यों-हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) में पद रिक्त होने पर कड़ी नाराजगी जताई. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की निष्क्रियता से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या और गंभीर हो रही है. इन बोर्ड को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी और संसाधन की आवश्यकता है. कोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) में 55 प्रतिशत पद खाली होने को गंभीर चूक माना. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली समेत इन राज्यों के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी किया है और पूछा कि उन पर कार्रवाई क्यों न की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि अगस्त 2025 तक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में खाली पदों को भरें और इसकी सूचना कोर्ट को दें. नोटिस जारी करते हुए, शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को यह बताने का आदेश दिया कि अगस्त 2024 के आदेश का पालन न करने के लिए उन्हें न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दंडित क्यों न किया जाए. दिल्ली के मुख्य सचिव को 19 मई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है, जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को 18 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उपस्थित होने के लिए कहा गया है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में इन राज्यों को 30 अप्रैल 2025 तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया था. हालांकि, दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर के बावजूद डीपीसीसी में 55 प्रतिशत पद खाली पाए गए. यह जानकारी मिलने पर सुप्रीम कोर्ट बिफर गया. बेंच ने कहा की दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए यह आश्चर्यजनक है कि डीपीसीसी लगभग निष्क्रिय है. कोर्ट ने इसे पर्यावरण संरक्षण के प्रति लापरवाही करार दिया.
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