trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana02769684
Home >>Delhi-NCR-Haryana

Haryana News: हाईकोर्ट के इस फैसले से हजारों कर्मचारियों पर मंडराया सरकारी नौकरी जाने का खतरा, जानें क्या है मामला

 पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश से प्रदेश में करीब 10 हजार नौकरियों पर संकट मंडराने लगा है. कोर्ट ने  एक याचिका  सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इन 10 अतिरिक्त अंकों को काट कर दोबारा  रिजल्ट जारी करने का आदेश जारी किया है. इस अधिसूचना के आधार पर की गई उन तमाम भर्तियों पर इस आदेश का प्रभाव पड़ सकता है.

Advertisement
Haryana News: हाईकोर्ट के इस फैसले से हजारों कर्मचारियों पर मंडराया सरकारी नौकरी जाने का खतरा, जानें क्या है मामला
Zee News Desk|Updated: May 23, 2025, 10:00 AM IST
Share

Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश से प्रदेश में करीब 10 हजार नौकरियों पर संकट मंडराने लगा है. यह  स्थिति उस समय उत्पन्न हो गई, जब हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की एक अधिसूचना को रद कर दिया. 11 जून 2019 को जारी इस अधिसूचना  मुताबिक विभिन्न भर्तियों में सामाजिक-आर्थिक आधार और अनुभव के नाम पर दस अतिरिक्त अंक दिए जाने का प्रावधान था. एक याचिका  सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इन 10 अतिरिक्त अंकों को काट कर दोबारा  रिजल्ट जारी करने का आदेश जारी किया है. इस अधिसूचना के आधार पर की गई उन तमाम भर्तियों पर इस आदेश का प्रभाव पड़ सकता है.

कोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह उन सभी भर्तियों के परिणामों की समीक्षा करे, जिनमें इन दस अंकों को शामिल किया गया था. आयोग को तीन महीने के भीतर बिना सामाजिक-आर्थिक मानदंड वाले दस अंकों को हटाकर संशोधित परिणाम जारी करने होंगे. यह निर्देश उन भर्तियों पर लागू होगा जो 2019 के बाद की गई थीं. जिन कर्मचारियों ने नियुक्ति पा ली है, लेकिन संशोधित परिणाम में मेरिट में नहीं आते, उन्हें सेवा समाप्ति का नोटिस देकर नौकरी से हटा दिया जा सकता है.

आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
रमन द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने राज्य बिजली वितरण आयोग में जूनियर सिस्टम इंजीनियर (JSE) के 146 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन दिया था, जिसमें सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के तहत अतिरिक्त अंक देने की व्यवस्था थी. मोनिका ने लिखित परीक्षा में 90 अंकों में से 90 अंक हासिल किए थे. दस्तावेजों की जांच के लिए उसका नाम शार्टलिस्ट किया गया था. लेकिन, जब अंतिम चयन सूची घोषित हुई, तो उसे हैरानी हुई कि उसके उच्चतम अंक होने के बावजूद उसका चयन नहीं हो सका. सामान्य वर्ग के कट-आफ अंक 93 थे, और मोनिका का चयन नहीं हो सका.

ये भी पढ़ें: पंजाब के लोग भी कह रहे हैं कि पीने का पानी बंद नहीं होना चाहिए- नायब सैनी

 मामले में मोनिका की तुलना में अन्य उम्मीदवारों ने कम अंक प्राप्त किए, फिर भी वे सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के तहत अतिरिक्त अंक प्राप्त कर चयनित हुए. इस श्रेणी के तहत विधवा, अनाथ या जिनके परिवार में कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है, उन्हें अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं. इस फैसले के कारण बड़ी संख्या में नियुक्तियां प्रभावित होंगी. उदाहरण के लिए, 400 सब-इंस्पेक्टर की भर्ती में 378 पद ऐसे अभ्यर्थियों को मिले, जिन्हें सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक दिए गए थे. इसी तरह, महिला सब-इंस्पेक्टर के 65 पदों में से 62 पर ऐसे ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई. पुलिस सिपाही के 1100 पदों में भी अधिकतर पर बोनस अंकधारी अभ्यर्थियों ने कब्जा जमाया है. इस फैसले से न केवल नियुक्तियों की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा, बल्कि इससे हजारों लोगों की नौकरी भी जा सकती है.

Read More
{}{}