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Positive Story: हादसे में दोनों हाथ गंवाए तो सुनीता ने पैरों से लिखी तकदीर, राष्ट्रपति कर चुकी हैं सम्मानित

Rohtak News: झज्जर के गांव सुबाना में जन्मी सुनीता मल्हान की शादी 1987 में हुई. चार महीने बाद एक ट्रेन हादसे में जब उन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए तो ससुराल वाले उसे अस्पताल में छोड़कर भाग गए, लेकिन इस हादसे के बाद सुनीता मायूस नहीं हुई, बल्कि कुछ कर गुजरने की ठान ली. इलाज के दौरान एक नर्स ने उसे हिम्मत दी. सुनीता ने संस्कृत में एमफिल और पीएचडी भी की. 1989 में लेक्चरर के पद पर भी नियुक्त हुई. इसके बाद 1990 में उन्होंने 
रोहतक में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के वीमेन हॉस्टल की वार्डन बनीं. डॉ सुनीता मल्हान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की एथलीट भी हैं. उन्हें राष्ट्रपति अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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