Haryana News: रोहतक के गांव मदीना में रहने वाला एक परिवार, जो 20 साल पहले पाकिस्तान से भारत आया था, आज भी अपने ऊपर हुए अत्याचारों को याद करके सहम जाता है. पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे जुल्मों की दास्तान सुनाते हुए परिवार के सदस्य भावुक हो गए और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. परिवार के सदस्य हंसदास ने बताया कि 23 जून 2005 को वे अपने परिवार के साथ पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे. पाकिस्तान में उनके साथ बहुत अत्याचार किए गए. उन्हें काफिर कहा जाता था. यहां तक कि उनके नाम तक बदल दिए गए थे. उन्हें कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता था. और नमाज़ न पढ़ने पर यातनाएं दी जाती थीं. स्कूलों में भी उनके साथ भेदभाव होता था. कांटों वाले डंडों से उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था. हर दिन एक नई यातना. हर दिन एक नया अत्याचार. होता था. पाकिस्तानी स्कूलों में आतंकवाद के लिए कश्मीर फंड के नाम पर पैसे इकट्ठे किए जाते थे. ईशनिंदा कानून के तहत वहां हिंदुओं को फांसी तक दी जाती है.