रोहतक: हरियाणा के रोहतक स्थित पीजीआईएमएस (PGIMS) में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक लेटर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा. इस लेटर में दावा किया गया था कि रोहतक पीजीआई के कई डॉक्टर्स और स्टाफ को प्रदेश के अन्य जिलों में बन रहे नए पीजीआई संस्थानों में डेप्युटेशन (अस्थाई नियुक्ति) पर भेजा जा रहा है.
इस वायरल लेटर के बाद डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ के बीच बेचैनी और नाराजगी का माहौल बन गया. कई डॉक्टरों ने इस आदेश पर खुलकर रोष जताया और कहा कि यह अचानक फैसला उनके पेशेवर जीवन पर असर डाल सकता है. हालांकि, इस मामले पर अब पीजीआई रोहतक के निदेशक डॉ. सुरेश कुमार सिंघल ने खुद सामने आकर स्थिति को स्पष्ट किया है. उन्होंने बताया कि जो लेटर वायरल हुआ है, वह असली नहीं है. उसमें छेड़छाड़ की गई है और उसे गलत तरीके से सोशल मीडिया पर फैलाया गया है. डॉ. सिंघल ने कहा कि रोहतक पीजीआई के डॉक्टर्स को किसी और जिले में जबरन डेप्युटेशन पर नहीं भेजा जा रहा है. बल्कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें कुछ डॉक्टर्स को नए पीजीआई संस्थानों के सेटअप में मदद के लिए अस्थाई रूप से भेजा जाएगा, वो भी केवल उन्हीं को जो इस कार्य के लिए स्वेच्छा से तैयार होंगे.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस लेटर को जिसने भी एडिट कर के गलत रूप में वायरल किया है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. यह संस्थान की छवि के साथ खिलवाड़ है और इससे अनावश्यक तनाव फैलाया गया है. निदेशक ने आश्वासन दिया कि सभी कर्मचारियों को पूरी जानकारी और सम्मानपूर्वक विकल्प दिया जाएगा. कोई भी निर्णय बिना स्टाफ की सहमति के नहीं लिया जाएगा. इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि गलत सूचना किस तरह से अफवाह बनकर गंभीर माहौल पैदा कर सकती है. डॉक्टर्स जो दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं, उन्हें इस तरह की गलत खबरों से मानसिक तनाव झेलना पड़ा. प्रशासन ने अब इस मामले की जांच शुरू कर दी है और भरोसा दिलाया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे.
इनपुट- राज टाकिया
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