Waqf Amendment Bill: देश में वक्फ बिल पास होने के बाद बोर्ड की संपत्तियों को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है. वक्फ बोर्ड के पास देशभर में करीब 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन दर्ज है, जो कि दिल्ली के कुल क्षेत्रफल (3.6 लाख एकड़) से तीन गुना ज्यादा है. इतनी विशाल संपत्ति होने के बावजूद इसके स्वामित्व, प्रबंधन और उपयोग को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. नया वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) इसी बहस को और गहरा कर रहा है. सरकार का दावा है कि इससे पारदर्शिता आएगी, जबकि विपक्ष इसे धार्मिक अधिकारों में दखल मान रहा है.
तीन दिल्ली जितनी जमीन, फिर भी विवाद क्यों?
दिल्ली कुल 3.6 लाख एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है, जबकि देश में वक्फ बोर्ड के पास 9 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन दर्ज है. यानी वक्फ बोर्ड के पास तीन दिल्ली जितनी संपत्ति है. यह संपत्तियां ऐतिहासिक रूप से धार्मिक और सामाजिक उपयोग के लिए दी गई थीं, लेकिन अब कई राजनीतिक दल इस पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या इन जमीनों का सही उपयोग हो रहा है. बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि इस तरह की संपत्तियों का इस्तेमाल पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए. कई जगहों पर वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण और गलत उपयोग की शिकायतें भी सामने आई हैं. वहीं, कांग्रेस और अन्य समर्थक दलों का कहना है कि वक्फ बोर्ड को उनकी संपत्तियों पर पूरा अधिकार मिलना चाहिए, ताकि वे अपने धार्मिक और सामाजिक कार्यों को बिना बाधा पूरा कर सकें.
नए बिल में क्या बदलाव?
वक्फ संशोधन बिल में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से संपत्तियों के स्वामित्व, सरकारी नियंत्रण और पारदर्शिता से जुड़े प्रावधान शामिल हैं. कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं.
राजनीतिक विवाद क्यों?
यह बिल पेश होते ही राजनीतिक दलों में मतभेद शुरू हो गए हैं. बीजेपी का कहना है कि इस कानून से वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा और भ्रष्टाचार खत्म होगा. दूसरी ओर कांग्रेस और अन्य दलों का मानना है कि इससे अल्पसंख्यकों के अधिकारों में कटौती होगी और उनकी धार्मिक संपत्तियों पर सरकार का अनावश्यक नियंत्रण बढ़ेगा. अब देखना यह होगा कि यह बिल संसद में पास होता है या फिर किसी बड़े राजनीतिक मोड़ पर अटक जाता है. लेकिन एक बात तय है वक्फ संपत्तियों का मुद्दा आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस का बड़ा केंद्र बना रहेगा.
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