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Haryana Government: बच्चों के बैग का वजन कितना होना चाहिए, शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को दिलाया याद

Haryana News: हरियाणा शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि शिक्षा को मुनाफे का जरिया बनाने वाली प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जाए. नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाए. 

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Haryana Government: बच्चों के बैग का वजन कितना होना चाहिए, शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को दिलाया याद
Zee Media Bureau|Updated: Apr 08, 2025, 06:32 PM IST
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Chandigarh News: हरियाणा में स्कूली बच्चों के कंधों पर बस्ते का बोझ बढ़ाने, बार-बार ड्रेस बदलने और पुरानी किताबों के इस्तेमाल से रोकने पर सरकार ने सख्ती दिखाई है. शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि वे नियमित रूप से स्कूलों का निरीक्षण करें और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर तत्काल आवश्यक कदम उठाएं. 

NCERT और CBSE की किताबें अनिवार्य हो  
शिक्षा विभाग ने कहा, यह सामने आया है कि कई स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव बना रहे हैं, जो कि शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरुद्ध है. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि स्कूलों को केवल NCERT या CBSE से मान्यता प्राप्त पुस्तकों को ही अनिवार्य बनाना चाहिए. 

यूनिफॉर्म में न हो बार-बार बदलाव
स्कूल यूनिफॉर्म में बार-बार बदलाव से माता-पिता पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है. कुछ स्कूल ऐसे विशेष लोगो वाले यूनिफॉर्म की खरीद को अनिवार्य कर रहे हैं, जिन्हें विशिष्ट विक्रेताओं से महंगे दामों पर खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जाता है. शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया कि अभिभावकों को अधिकृत विक्रेताओं से ही ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए. 

पुरानी किताबों से पढ़ने दिया जाए 
शिक्षा विभाग ने कहा, हर बार स्कूल कुछ किताबों में मामूली बदलाव कर देते हैं. पेरेंट्स नए सिरे से सिलेबस खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है. छात्रों को पुरानी किताबें उपयोग करने से हतोत्साहित नहीं करना चाहिए. पुरानी किताबों का उपयोग पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी है. इससे अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक असर पड़ता है.

पानी की बोतल के लिए मजबूर न करें 
शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में कहा, स्कूल में पीने योग्य पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने से जुड़े नियमों के बावजूद स्कूल में लगे नलों से पानी पीने की अनुमति नहीं दी जाती है और केवल अपनी बोतल से पानी पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है. स्कूल अपनी बोतल में पानी लाने के लिए बच्चों को मजबूर न करें. बच्चों को स्कूल के अंदर पानी पीने से वंचित रखना नियमों के खिलाफ है. ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

नियमों के मुताबिक अलग-अलग कक्षा के विद्यार्थियों के लिए बैग का वजन निर्धारित किया गया है. कक्षा 1 से 2 के बच्चे के स्कूल बैग का वजन डेढ़ किलो, 3 से 5 तक का 2 से 3 किलो, क्लास 6 और 7 के बैग का  वजन 4 किलो, क्लास 8 और 9 का 4.5 और कक्षा 10 के बच्चे का बैग 5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए. शिक्षा विभाग ने कहा कि निजी स्कूल छोटे-छोटे बच्चों पर भारी भरकम बैग लाद देते हैं. ऐसा करना उनकी सेहत के लिए नुकसानदेय है. स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र निर्धारित सीमा से अधिक वजन के बैग न उठाएं.

आदेश में कहा गया है कि शिक्षा एक सेवा का क्षेत्र है. यह फायदे के लिए नहीं होना चाहिए. अधिकतर निजी स्कूल गैर-लाभकारी संस्थाओं के रूप में पंजीकृत हैं और उन्हें उसी भावना से कार्य करना चाहिए. विभाग ने कहा है कि शिक्षा को मुनाफे का जरिया बनाने वाली प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जाए. 

प्रदेश के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि हमें कई जगह से ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि स्कूल संचालक माता-पिता को महंगी किताबें और महंगी वर्दियां खरीदने के लिए मजबूर कर रहे थे। माता-पिता को यह कहा जाता था कि वह निश्चित दुकान से ही सामान खरीद सकते हैं, जहां से वह सामान बहुत महंगा मिलता था. इसलिए हमने जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं.

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