E-Rickshaw: दिल्ली की सड़कों पर जब आप बाहर निकलते हैं तो सबसे पहले जो नजारा देखने को मिलता है, वो है E-Rickshaw की लंबी कतारें. ये छोटे बिजली से चलने वाले वाहन न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर माने जाते हैं, बल्कि हजारों लोगों की आजीविका का जरिया भी हैं. लेकिन इनकी बढ़ती संख्या और बिना किसी ठोस नियमन के संचालन ने अब राजधानी में एक नई चुनौती खड़ी कर दी है. क्या दिल्ली में E-Rickshaw के लिए कोई सख्त नियम-कायदे हैं या फिर यह व्यवस्था सिर्फ नाम मात्र की है.
बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे हजारों ई-रिक्शा
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के मुताबिक राजधानी में करीब 1.2 लाख से ज्यादा ई-रिक्शा पंजीकृत हैं. लेकिन वास्तविक संख्या कहीं अधिक बताई जाती है, क्योंकि बड़ी संख्या में ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन और फिटनेस के भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं. इससे न सिर्फ ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन होता है, बल्कि हादसों की आशंका भी कई गुना बढ़ जाती है.
न लाइसेंस न बीमा और यात्री असुरक्षित
संबंधित विभाग के अनुसार दिल्ली में कई ई-रिक्शा चालक ऐसे है जिनके पास न तो वैध लाइसेंस नहीं होता और न ही वाहन बीमा. यदि कोई दुर्घटना होती है, तो यात्री के पास मुआवजा मांगने का कोई कानूनी आधार नहीं होता. यही वजह है कि इन वाहनों से सफर करने वाले अक्सर खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.
सरकारी दिशा-निर्देश तो हैं, लेकिन पालन नहीं
दिल्ली सरकार ने 2014 में ई-रिक्शा संचालन के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं. इसमें वाहन का वजन, स्पीड, लाइसेंस, पंजीकरण और संचालन क्षेत्र की सीमाएं तय की गई थीं. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इन दिशा-निर्देशों का पालन मुश्किल से ही होता है. न तो ड्राइवरों की पहचान की नियमित जांच होती है, न ही वाहनों की तकनीकी जांच.
सरकार की नई योजना और चुनौतियां
हाल ही में दिल्ली सरकार ने ई-रिक्शा की बेहतर मॉनिटरिंग के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करने की योजना बनाई है. इसके अलावा नए पंजीकरण को अधिक पारदर्शी बनाने और ड्राइवरों को ट्रेनिंग देने के लिए विशेष अभियान भी चलाए जा रहे हैं. लेकिन जब तक प्रशासनिक निगरानी और पुलिस की सतर्कता नहीं बढ़ती, तब तक ई-रिक्शा से जुड़ी अव्यवस्था पर पूरी तरह से लगाम लगाना संभव नहीं दिखता.
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