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Delhi Yamuna: क्यों प्रदूषित है यमुना और कैसे होगी साफ? जानें A to Z समाधान

Why is Yamuna polluted: यमुना की सफाई केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए एक मिशन है. सरकार, समाज और उद्योगों के सामूहिक प्रयास से यमुना को पुनः अविरल और निर्मल बनाया जा सकता है. यमुना की सफाई केवल दिल्ली ही नहीं, पूरे उत्तर भारत के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक है.  

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Delhi Yamuna: क्यों प्रदूषित है यमुना और कैसे होगी साफ? जानें A to Z समाधान
Delhi Yamuna: क्यों प्रदूषित है यमुना और कैसे होगी साफ? जानें A to Z समाधान
PUSHPENDER KUMAR|Updated: Feb 15, 2025, 02:03 PM IST
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How will Yamuna be Cleaned: दिल्ली में यमुना का प्रवाह लगभग मृतप्राय हो चुका है. कभी निर्मल और अविरल बहने वाली यह नदी आज जहरीले झाग और काले पानी से भरी हुई है. वजीराबाद से ओखला तक यमुना का केवल 22 किमी का क्षेत्र 76% प्रदूषण का शिकार है. सूत्रों के अनुसार इसमें प्रतिदिन 350 लाख लीटर गंदा पानी और सीवेज 18 बड़े नालों से सीधे यमुना में गिरता है. दिल्ली में यमुना का जल आचमन योग्य नहीं रहा.

कैसे होगी साफ होगी यमुना 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हिमालय की बर्फीली चोटियों से निकलने वाली यमुना नदी अपनी निर्मलता और पवित्रता के लिए जानी जाती है. लेकिन जैसे ही यह हरियाणा में प्रवेश करती है, इसकी स्वच्छता खतरे में पड़ जाती है. हथनीकुंड बैराज से यमुना का पानी वेस्टर्न और इस्टर्न कैनाल में मोड़ दिया जाता है, जिससे यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और पानीपत जैसे शहरों की गंदगी नदी में मिलने लगती है. अनियोजित कॉलोनियों और खराब सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स से निकलने वाला गंदा पानी यमुना को मैला बना देता है. पानीपत के टेक्सटाइल और डाइंग उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा यमुना की हालत और बिगाड़ देता है. कई प्रयासों के बावजूद, सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) तक गंदा पानी नहीं पहुंच पाता और बिना ट्रीटमेंट का पानी यमुना में समा जाता है. जब नदी दिल्ली के पल्ला घाट तक पहुंचती है, तब पानी की गुणवत्ता फिर भी थोड़ी बेहतर होती है, लेकिन वजीराबाद पहुंचते ही नजफगढ़ ड्रेन से मिलने वाला 70% सीवेज इसे बेहद प्रदूषित कर देता है.

दिल्ली के बाद हरनंदी और काली नदी का गंदा पानी भी यमुना में मिल जाता है. यह स्थिति तब तक बनी रहती है जब तक यमुना चंबल नदी से नहीं मिलती. चंबल का साफ पानी यमुना के प्रदूषण को थोड़ा कम करता है, लेकिन दिल्ली से आगरा तक का हिस्सा सबसे अधिक दूषित रहता है. हालांकि, सुधार की कोशिशें जारी हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और अन्य संस्थानों के निरीक्षण के बाद 2017 में केवल 39% उद्योग ही नियमों का पालन कर रहे थे, लेकिन 2023 तक यह संख्या बढ़कर 82% हो गई है. फिर भी, सीवेज ट्रीटमेंट में देरी और अलग-अलग एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. यमुना को पुनः स्वच्छ बनाने के लिए सभी सरकारों और एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को दुरुस्त करना और नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बढ़ाना जरूरी है. सिंचाई और बिजली के लिए वैकल्पिक जल स्रोतों की व्यवस्था करनी होगी. केवल तभी हम यमुना के किनारे एक सुंदर रिवर फ्रंट का सपना देख सकते हैं. यमुना की सफाई केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि एक संकल्प है—स्वच्छ जल, स्वस्थ भविष्य का.

यमुना में प्रदूषण के प्रमुख कारण

अनियोजित सीवेज डिस्चार्ज: सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की खराब व्यवस्था के कारण बड़ी मात्रा में असंशोधित गंदा पानी यमुना में प्रवाहित होता है.

उद्योगों से रासायनिक कचरा: पानीपत और दिल्ली की डाइंग व टेक्सटाइल यूनिट्स बिना ट्रीटमेंट के रसायन यमुना में बहाती हैं.

अनियोजित कॉलोनियों से प्रदूषण: अवैध कॉलोनियों में सीवेज ट्रीटमेंट की सुविधा नहीं है.

नजफगढ़ ड्रेन: दिल्ली के कुल सीवेज का 70% नजफगढ़ ड्रेन से यमुना में मिलता है.

हरनंदी और काली नदी: यूपी के उद्योगों का कचरा हरनंदी के जरिये यमुना में प्रवाहित होता है.

यमुना की सफाई के प्रयास

  1. 1993: यमुना एक्शन प्लान (YAP) की शुरुआत हुई। तीन चरणों में हजारों करोड़ रुपये खर्च हुए.
  2. 2015-2023: केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत 1000 करोड़ और यमुना एक्शन प्लान के तहत 200 करोड़ रुपये आवंटित किए.
  3. दिल्ली सरकार ने 700 करोड़ रुपये यमुना की सफाई के लिए खर्च किए.
  4. 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) लगाए गए लेकिन अधिकतर की क्षमता और गुणवत्ता अपर्याप्त है.

जानें समस्याएं और चुनौतियां

  • सीवेज ट्रीटमेंट की कमी: दिल्ली में प्रतिदिन 1,100 MLD सीवेज बिना ट्रीटमेंट के यमुना में जाता है.
  • अंतरराज्यीय समन्वय की कमी: यमुना बेसिन के राज्यों (उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, दिल्ली) में तालमेल का अभाव है.
  • उद्योगों की निगरानी की कमी: औद्योगिक कचरे की निगरानी में ढील है.
  • जलागम क्षेत्र और सहायक नदियों की अनदेखी: सहायक नदियों की सफाई और पुनर्जीवन योजनाओं का अभाव है.

जानें समाधान और आगे का रास्ता

सीवेज ट्रीटमेंट को सुधारना: सभी STP की क्षमता बढ़ाई जाए और नए विकेंद्रीकृत STP बनाए जाएं. उपचारित पानी का उपयोग सिंचाई और उद्योगों में किया जाए.

उद्योगों पर सख्ती: उद्योगों के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) की अनिवार्यता हो और उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जाए.

जलागम क्षेत्र का पुनरोद्धार: यमुना की सहायक नदियों जैसे हरनंदी और काली नदी की सफाई और पुनर्जीवन परियोजना शुरू की जाए.

अंतरराज्यीय समझौता: 1994 में हुए अपर यमुना रिवर बोर्ड समझौते की समीक्षा कर जल प्रवाह बढ़ाने पर सहमति बने.

वर्षा जल संचयन: दिल्ली में वर्षा जल संचयन और तालाब, जोहड़ जैसे जलस्रोतों का पुनरुद्धार किया जाए.

जनभागीदारी और जागरूकता: यमुना के किनारे श्रमदान और स्वच्छता अभियान चलाए जाएं. स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं.

इनसे लेनी चाहिए सीख 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि दिल्ली की यमुना को कुछ भी गंदी नहीं है एक समय लंदन की टेम्स नदी की हालत बहुत बदहाल थी. लेकिन संबंधित विभागों के कड़े सीवेज ट्रीटमेंट और सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति के कारण टेम्स नदी का कायाकल्प हुआ. इसी के साथ अहमदाबाद में रिवर फ्रंट परियोजना से साबरमती पुनर्जीवित हुई. अब बारी है यमुना को पुनर्जीवित करने की बारी है.

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