Supreme Court News: हर राज्य में आबादी के हिसाब से अल्पसंख्यक दर्जा निर्धारित करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मसले अभी तक जवाब न दाखिल करने वाले राज्यों को आखिरी मौका दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा - जिन राज्यों ने पुराने आदेश के मुताबिक अभी तक केंद्र को ज़रूरी डाटा उपलब्ध नहीं कराया है, वो 6 हफ्तों में ऐसा कर दे अन्यथा राज्यों को 10 हजार का जुर्माना भरना होगा.
केंद्र स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में तय की. इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो अगली सुनवाई से दो हफ्ते पहले स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करें.
पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अब तक उसे 24 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का जवाब मिल चुका है. जबकि 6 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने अब तक अपने जवाब दाखिल नहीं किए हैं. इनमें अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, लक्षद्वीप, राजस्थान और तेलंगाना शामिल हैं.
विभिन्न राज्यों का क्या है रुख?
जिन राज्यों ने राज्यवार आबादी के हिसाब से अल्पसंख्यक दर्जा तय किए जाने पर अपनी सहमति जताई है उनमें आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, मणिपुर, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली में हिंदू अल्पसंख्यक नहीं है लेकिन अगर केंद्र किसी ऐसे राज्य के हिंदू जहां वो अल्पसंख्यक हैं, को दिल्ली में भी अल्पसंख्यक घोषित करता है तो दिल्ली सरकार को कोई आपत्ति नहीं है.
बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने मौजूदा व्यवस्था को जारी रखने का समर्थन किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि मामले में केंद्र जो भी फैसला लेगा वह उसका समर्थन करेगा.
बता दें वकील अश्विनी उपाध्याय ने देश के 9 राज्यों/UT– जम्मू कश्मीर, पंजाब, लद्दाख, मिजोरम, लक्ष्द्वीप, नागालैंड मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में आबादी के हिसाब से हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित किए जाने की मांग की थी.
इन 9 राज्यों की ये है राय:
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