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'औरंगजेब की कब्र हटाना तो चाहते हैं मगर कांग्रेस की वजह से नहीं कर पा रहे', ऐसा क्यों बोले फडणवीस?

Aurangzeb: मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ करने की वजह से सपा विधायक को महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित कर दिया गया है. साथ ही औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम भी कब्र हटाना चाहते हैं लेकिन कानून के दायरे में रहकर.

'औरंगजेब की कब्र हटाना तो चाहते हैं मगर कांग्रेस की वजह से नहीं कर पा रहे', ऐसा क्यों बोले फडणवीस?
Tahir Kamran|Updated: Mar 10, 2025, 11:32 AM IST
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CM Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा है कि सभी का मानना ​है कि छत्रपति संभाजीनगर में मौजूद मुगल बादशाह औरंगजेब की मज़ार को हटाया जाना चाहिए, लेकिन यह कानून के दायरे में किया जाना चाहिए, क्योंकि पिछली कांग्रेस सरकार ने इस जगह को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में दे दिया था. 

क्या बोले देवेंद्र फडणवीस

फडणवीस शनिवार रात यहां एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सतारा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद उदयनराजे भोसले ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में मौजूद औरंगजेब के मजार को हटाने की मांग की थी. भोसले की मांग के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा,'हम सभी यही चाहते हैं, लेकिन आपको इसे कानून के दायरे में करना होगा, क्योंकि यह एक संरक्षित स्थल है. इस जगह को कुछ साल पहले कांग्रेस शासन के दौरान एएसआई के संरक्षण में दे दिया गया था.' 

अबू आसिम आजमी को किया गया निलंबित

महाराष्ट्र से समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी के ज़रिए मुगल बादशाह औरंगजेब की तारीफ में की गई टिप्पणी से हाल ही में विवाद खड़ा हो गया था. पिछले सप्ताह औरंगजेब की तारीफ करने वाले बयान की वजह से आजमी को 26 मार्च को बजट सत्र की समाप्ति तक महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित कर दिया गया है.

क्या कहा था अबू आसिम आजमी ने

पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू के दौरान आजमी ने कहा था कि औरंगजेब को केवल क्रूर शासक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि एक महान प्रशासक के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिसने मंदिर भी बनवाए थे. उन्होंने यह भी कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की सीमा अफगानिस्तान और बर्मा (अब म्यांमार) तक पहुंच गई थी.

'धार्मिक नहीं राजनीतिक थी लड़ाई'

आजमी ने आगे कहा,'साथ ही, मैं यह नहीं मानता कि छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच लड़ाई धर्म को लेकर नहीं थी; यह एक राजनीतिक लड़ाई थी.' बाद में महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगी, लेकिन साथ ही बयान को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ वही कहा जो इतिहासकार और लेखक मुगल शासक के बारे में पहले ही कह चुके हैं और यह किसी भी तरह से छत्रपति शिवाजी महाराज या संभाजी महाराज के खिलाफ नहीं था.

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