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पद संभालते ही फडणवीस ने लिया दिल जीतने वाला फैसला, मरीज के घर भेजे 5 लाख, फोन पर भी की बात

देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के सीएम के तौर पर पद संभालते ही एक ऐसा फैसला लिया, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल उन्होंने एक बोन मैरो के मरीज को 5 लाख रुपये देने का फैसला किया है. इसके बाद उन्होंने मरीज फोन पर बात भी की. 

पद संभालते ही फडणवीस ने लिया दिल जीतने वाला फैसला, मरीज के घर भेजे 5 लाख, फोन पर भी की बात
Tahir Kamran|Updated: Dec 07, 2024, 09:51 AM IST
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देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर 5 दिसंबर को शपथ ले ली है. मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभालने के बाद अपने पहले ही आदेश में लोगों को दिल जीत लिया. सीएम फडणवीस ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले पुणे निवासी के लिए 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी. फडणवीस ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने से पहले इस मंजूरी पर दस्तखत किए. मुख्यमंत्री राहत कोष से ली गई यह सहायता चंद्रकांत शंकर कुर्हाड़े को दी गई, जिनकी पत्नी ने मदद के लिए अपील की थी.

फोन पर भी की बात

एक्स पर एक पोस्ट में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा,'पुणे के चंद्रकांत कुर्हाड़े को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए वित्तीय सहायता की तत्काल आवश्यकता थी. उनके परिवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मदद के लिए अनुरोध किया था. कल मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालते ही उन्होंने तत्काल संज्ञान लिया और मुख्यमंत्री सहायता कोष से 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की. यह उनका पहला फैसला था.'  पोस्ट में आगे कहा,'आज, मदद से राहत पाकर कुर्हाड़े परिवार ने मुख्यमंत्री से फोन पर बात की और उन्हें धन्यवाद दिया. मुख्यमंत्री ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया.'

देखिए VIDEO

बता दें कि मुंबई के आज़ाद मैदान में आयोजित एक समारोह में फडणवीस ने 5 दिसंबर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री और एनडीए के कई मुख्यमंत्री और पार्टी नेता तथा हज़ारों समर्थक मौजूद थे. 23 नवंबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में महायुति ने शानदार जीत हासिल की है. 288 सीटों वाली विधानसभा में 132 विधायक भाजपा हैं. इसके अलावा 57 पर एनकाथ शिंदे वाली शिवसेना और 41 सीटों पर अजित पवार की एनसीपी ने जीत दर्ज की. 

शपथ लेने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के किरदार को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी. यही कारण है 23 नवंबर को आए नतीजों के बाद सरकार गठन 5 दिसंबर हुआ. कहा जा रहा था कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद जाने की वजह से नाराज हैं. हालांकि बाद में उन्होंने खुद प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री बनने से कोई दिक्कत नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जो भी फैसला लेंगे हमें वो मंजूर होगा. 

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