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DNA: खोद दी अकबर की कब्र.. हड्डियां निकालकर जला दी, वीर सूरमा राजाराम जाट की कहानी

DNA Analysis: संभल में जहां योगी फोर्स ने गाज़ी के नेज़ा मेले को इतिहास बना दिया. वहीं दूसरी तरफ औरंगजेब फैन क्लब, संभाजीनगर में मौजूद मुगल आक्रांता की कब्र को बचाने की कोशिश में जुटा है. लेकिन आज हम इस लेख में औरंगजेब गैंग के लिए अकबर की कब्र का एक किस्सा लेकर आए हैं. चलिए जानते हैं.

DNA: खोद दी अकबर की कब्र.. हड्डियां निकालकर जला दी, वीर सूरमा राजाराम जाट की कहानी
Zee News Desk|Updated: Mar 25, 2025, 11:27 PM IST
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DNA Analysis: संभल में जहां योगी फोर्स ने गाज़ी के नेज़ा मेले को इतिहास बना दिया. वहीं दूसरी तरफ औरंगजेब फैन क्लब, संभाजीनगर में मौजूद मुगल आक्रांता की कब्र को बचाने की कोशिश में जुटा है. आज हम इस लेख में औरंगजेब गैंग के लिए अकबर की कब्र का एक किस्सा लेकर आए हैं. अकबर की कब्र के बारे में लोगों की जानकारी थोड़ी कम है, जिन्हें है भी वो ये नहीं जानते कि अकबर की कब्र को तोड़ दिया गया था. अकबर की कब्र तोड़कर मुगलों की इज्जत मिट्टी में मिलाने वाले, वीर सूरमा थे राजराम जाट, जिन्हें अकबर की कब्र तोड़ने में चाहर कबीले के रामकी चाहर का भी साथ मिला.

दो हजार जाट योद्धाओं के साथ, अपना सिर कटाकर, औरंगेजब की सल्तनत की चूले हिला देने वाले वीर गोकुला जाट ने जो लकीर खींची थी. उसी पर आगे बढ़ते हुए राजाराम जाट ने आलमगीर के सामने मुगलिया सल्तनत की इज्जत राख कर दी थी.

राजाराम जाट का  मुगलिया सल्तनत से बदला
राजाराम जाट ने सिकंदरा में अकबर के मकबरे को न सिर्फ तोड़ दिया था, बल्कि कब्र से अकबर की हड्डियां निकालकर उसे जलाया और यमुना में बहा दिया. औरंगजेब के हुक्म पर गोकुला जाट के सिर को सरेआम धड़ से अलग करने  का बदला राजाराम जाट ने मुगलिया सल्तनत से कुछ इस तरह लिया की ये, इतिहास में दर्ज हो गया.

ऐतिहासिक दस्तावेज राजाराम जाट की वीरता के गवाह हैं
मुगल दौर में भारत आए इतालवी लेखक निकोलो मनूची की किताब  'स्टोरियो दी मोगोल', इतिहासकार जदुनाथ सरकार की किताब औरंगजेब और 1986 में लिखी Hansen और Waldemar की किताब The Peacock Throne: The Drama of Mogul India में अकबर की कब्र तोड़े जाने का जिक्र है. ये ऐतिहासिक दस्तावेज राजाराम जाट की वीरता के गवाह हैं.

अकबर के मकबरे में तोड़फोड़
भज्जा सिंह के बेटे राजराम जाट सिनसिनवार जाटों के सरदार थे. उन्होंने जाटों के दो अहम कबीलों सिनसिनवारों और चाहर को एक साथ किया और मुगलों के अत्याचार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. 27 फरवरी 1688 को राजराम जाट ने रामकी चाहर के साथ मिलकर सिकंदरा पर गुरिल्ला हमला किया. अकबर के मकबरे में तोड़फोड़ की और अकबर की कब्र खोदकर उसकी हड्डियों में आग लगा दी. औरंगजेब की कब्र के नाम पर दंगा और आगजनी करने वालों के लिए सिकंदरा एक नजीर है.मज़ार, मकबरे और कब्र के नाम पर नफरती टूलकिट का हिस्सा बनना कहीं से भी वाजिब नहीं कहा जा सकता.

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