India Russia Relations: भारतीय हाई कमिश्नर विक्रम दोराईस्वामी ने रूस से भारत के तेल आयात को लेकर पश्चिम देशों की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था को अचानक से बंद नहीं कर सकता. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि कई यूरोपीय देश खुद भी उन देशों से सामान खरीद रहे हैं जिनसे वे भारत को खरीदने से मना कर रहे हैं. क्या आपको ऐसा नहीं लगता?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. पहले भारत मिडिल ईस्ट से तेल खरीदता था लेकिन जब रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के बाद सस्ते दामों पर तेल बेचना शुरू किया तो भारत ने वहां से खरीदना शुरू किया. रूस पर पश्चिमी देशों की सख्त पाबंदियों के बावजूद भारत ने अपने हित में यह बड़ा फैसला लिया.
दोराईस्वामी ने ब्रिटेन की 'टाइम्स रेडियो' से बातचीत में कहा कि भारत 80 फीसद से ज्यादा तेल विदेश से मंगाता है, ऐसे में कोई विकल्प नहीं बचता. उन्होंने पूछा कि आप क्या चाहते हैं – हम अपनी अर्थव्यवस्था ही बंद कर दें? रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि यह रिश्ता सिर्फ तेल या व्यापार का नहीं, बल्कि पुराने समय से सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने याद दिलाया कि जब कुछ पश्चिमी देश भारत को हथियार बेचने से इनकार करते थे, तब वही देश भारत के पड़ोसी देशों को हथियार दे रहे थे, जो बाद में भारत पर ही इस्तेमाल भी किए गए. ऐसे में भारत ने रूस के साथ अपने रणनीतिक संबंध बनाए रखे. रूस-यूक्रेन जंग पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं कि 'यह जंग का समय नहीं है'. उन्होंने यह बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की दोनों से कही है. भारत चाहता है कि यह भयानक जंग खत्म हो जाए.
दोराईस्वामी ने यह भी कहा कि दूसरे देश भी अपने फायदे के लिए संबंध रखते हैं, फिर भारत से ही सवाल क्यों होता है? क्या हम आपसे आपकी वफादारी का टेस्ट लेते हैं? भारत वही कर रहा है जो उसकी जरूरत और हित में है.
FAQ:
भारत रूस से तेल क्यों खरीद रहा है और इसके क्या फायदे हैं?
रूस ने यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते भारत और चीन जैसे देशों को भारी छूट पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया.
भारत ने इस मौके का फायदा उठाकर सस्ते दर पर तेल खरीदा, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत हुई और महंगाई को कंट्रोल करने में मदद मिली.
रूस से तेल खरीदना भारत के लिए आर्थिक, रणनीतिक और ऊर्जा-सुरक्षा हितों से जुड़ा हुआ है. नीचे इस फैसले के प्रमुख कारण दिए गए हैं.
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