हम भारतीय बड़े सीधे होते हैं. हम दूसरे को नमस्ते कहकर सम्मान देते हैं, किसी का कुछ लेने के लिए, दिल में जगह बनाने के लिए. चाचा नेहरू ने तब चीन के साथ यही मिस्टेक की थी. 'भाई-भाई' का नारा देते रह गए और चीन ने पीछे से वार कर दिया. मौजूदा हालात भी कुछ वैसे ही प्रतिबिंबित हो रहे हैं. पिछले 24 घंटे में डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह भारतीयों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है, उसका रीएक्शन आप सोशल मीडिया पर देख सकते हैं. सरकार विपक्ष के सवालों के घेरे में है. सवाल इसलिए भी पूछे जा रहे हैं क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की केमिस्ट्री की काफी चर्चा लोग सुन, पढ़ और देख चुके हैं. हाउडी मोडी और नमस्ते ट्रंप से लेकर तमाम झप्पी लोगों को याद है. पहले की सरकारों की तरह केवल डिप्लोमेसी वाली बात नहीं है. लोगों की नाराजगी अपनी जगह है लेकिन यह भी समझना होगा कि ट्रंप अंकल बिजनसमैन हैं. वह अमेरिका की, केवल अपने देश की तरक्की के बारे में सोच रहे हैं. यह जरूर सोचने वाली बात है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़े संघर्ष में 'चौधरी' बनकर उन्होंने फायदा जरूर उठा लिया है. कैसे? समझते हैं.
पहले जान लीजिए कि अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत का जो टैरिफ लगाया है वह पेनाल्टी के साथ 30-35 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. ट्रंप गुस्से में हैं कि भारत ने रूस से तेल और हथियार खरीदना क्यों बंद नहीं किया जबकि अमेरिकी खेमे के देश यूक्रेन के सपोर्ट में खड़े रहे. ट्रंप खुलकर कह रहे हैं कि पीएम मोदी मेरे दोस्त हैं लेकिन वह हमारे साथ ज्यादा बिजनस नहीं कर रहे हैं. यह साफ तौर पर ब्लैकमेलिंग वाली भाषा है. बिजनस नहीं तो टैरिफ लगाएंगे.
पाकिस्तान से क्या बिजनेस करेगा अमेरिका?
इसमें एंट्री होती है पाकिस्तान की. बंटवारे के बाद से इतिहास गवाह है कि अमेरिका तमाम हितों और चीन से निपटने के लिए पाकिस्तान की तरफदारी करता रहा है. पिछले दो दशकों में यह नरैटिव बदला लेकिन अब ट्रंप वापस पुरानी नीति पर लौट रहे हैं. जबकि पहले कार्यकाल में इसी पाकिस्तान को वह जमकर लताड़ते सुने जाते थे. अब भारत पर पेनाल्टी लगाकर उन्होंने उसी 'आतंकिस्तान' के साथ ट्रेड एग्रीमेंट की घोषणा कर दी है. वैसे भारत के साथ भी डील होनी है लेकिन फिलहाल नहीं हुई है. अब आप जरा दिमाग पर जोर डालिए आतंकियों की फैक्ट्री लगाने वाले देश के साथ ट्रंप कौन सा बिजनस शुरू करना चाहते हैं?
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पाकिस्तान के पास ऐसा क्या है?
ध्यान दीजिए कि दुनिया में यूक्रेन और चीन के पास रेयर अर्थ मिनरल्स काफी ज्यादा है. चीन आनाकानी करने लगा है और यूक्रेन के साथ भी सब कुछ अच्छा नहीं है. अमेरिका को पिछले 1-2 साल में लगने लगा कि बॉस मिनरल्स तो चाहिए ही. ऑपरेशन सिंदूर के समय मौका मिला और चौधराहट दिखाते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान को साध लिया. पता नहीं भारत से क्या कहा होगा क्योंकि सरकार ने साफ कहा है कि ऑपरेशन रोकने में किसी देश का कोई रोल नहीं है लेकिन ट्रंप वही रिकॉर्ड 25 से ज्यादा बार बजा चुके हैं. पाकिस्तान के आर्मी चीफ का ट्रंप के साथ डिनर करना फिर भारत पर पेनाल्टी लगाकर पाकिस्तान के साथ डील की घोषणा वास्तव में चिढ़ाने वाला कदम है.
चिढ़ाने का पहाड़ बना दिया ट्रंप ने
हां, पाकिस्तान में विशाल तेल भंडार विकसित करने की घोषणा करते हुए ट्रंप ने भारतीयों को चिढ़ाते हुए यह भी कह दिया कि आगे चलकर भारत को पाकिस्तान से तेल खरीदना पड़ सकता है.
जिस पाकिस्तान को हम दुनिया के सामने आतंकवाद की जननी के तौर पर बेनकाब कर रहे थे, उसी के साथ हाथ मिलाकर ट्रंप ने डिप्लोमेटिक नहीं, खुले तौर पर अंगूठा दिखाया है. अब पाकिस्तान अमेरिका में आसानी से एक्सपोर्ट (यानी निर्यात) यानी अपना सामान बेच सकेगा. आपके मन में सवाल उठना लाजिमी है कि कौन सा सामान? क्या आतंकियों को सेल करेगा पाकिस्तान? जी नहीं, अमेरिका स्थित पाक दूतावास ने बताया है कि यह डील विशेष रूप से ऊर्जा, माइन्स और मिनरल्स, आईटी, क्रिप्टोकरेंसी और दूसरे क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है.
In a landmark development, Pakistan and the United States finalized a trade agreement today aimed at boosting bilateral trade, expanding market access, attracting investment, and fostering cooperation in areas of mutual interest.
The breakthrough was reached during a meeting of… pic.twitter.com/1R3hC95Ry5
— Pakistan Embassy US (@PakinUSA) July 31, 2025
ट्रंप की नजर पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र पर है. पाक में कई जगहों पर खनिज भंडार हो सकते हैं. तांबा, सोना, लीथियम, एंटीमनी जैसे कई महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार छिपे हुए हैं. पाकिस्तान काफी समय से खनन क्षेत्र में निवेश का माहौल और इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की कोशिश कर रहा है जिससे विदेशी इन्वेस्टरों को आकर्षित किया जा सके. अब दुनिया के सबसे बड़े इन्वेस्टर देश अमेरिका ने इंट्रेस्ट दिखा दिया है. पाकिस्तान में टेथियन मेटालोजेनिक बेल्ट है जहां तांबा और सोने का भंडार माना जाता है, बस खुदाई की जरूरत है. चीन ग्वादर और आर्थिक गलियारे के जरिए देश में बहुत कुछ कर नहीं पा रहा था, इधर भारत के धमाकेदार एक्शन से अमेरिका को पाकिस्तान को पुचकारने का मौका मिल गया. सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र बलूचिस्तान ही है, जहां अमेरिका के पहुंचने से पाकिस्तान को कई तरह से फायदा हो सकता है. न केवल फंड मिलेगा बल्कि उसे भारत के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी भी मिल जाएगी. भारत के लिए यह कितना चुनौतीपूर्ण होगा, समझा जा सकता है.
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