Donald Trump New Claim: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रोजाना नए-नए दावे करते रहते हैं और अब उन्होंने दावा किया है कि भारत अब रूस से सस्ता तेल नहीं खरीदेगा. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह इस दावे के बारे में निश्चित नहीं हैं. ट्रंप की यह टिप्पणी रूसी तेल खरीदने के लिए भारत के खिलाफ उनके तीखे हमले, रूसी तेल खरीदने पर अतिरिक्त 'जुर्माना' लगाने के फैसले और अमेरिका को सभी निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाने के व्हाइट हाउस के फैसले के कुछ दिनों बाद आई है.
डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) से जब पूछा गया कि क्या उनके मन में जुर्माने की कोई संख्या है और क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से बात करेंगे. इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. मैंने यही सुना है, मुझे नहीं पता कि यह सही है या नहीं. यह एक अच्छा कदम है. देखते हैं क्या होता है.'
#WATCH | "I understand that India is no longer going to be buying oil from Russia. That's what I heard, I don't know if that's right or not. That is a good step. We will see what happens..." says, US President Donald Trump on a question by ANI, if he had a number in mind for the… pic.twitter.com/qAbGUkpE12
— ANI (@ANI) August 1, 2025
तो क्या भारत को तेल बेचेगा पाकिस्तान?
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ तेल समझौते की घोषणा करते हुए तंज कसा था कि हो सकता है कि वे किसी दिन भारत को तेल बेचें. उन्होंने कहा था, 'हम उस तेल कंपनी को चुनने की प्रक्रिया में हैं जो इस साझेदारी का नेतृत्व करेगी. कौन जाने, हो सकता है कि वे किसी दिन भारत को तेल बेचें!'
रूस के साथ संबंध पर भारत ने क्या कहा?
इस बीच, भारत ने स्पष्ट किया है कि 'भारत और रूस के बीच एक स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी है.' ट्रंप के उस हमले को खारिज कर दिया, जिसमें ट्रंप ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों पर बार-बार सवाल उठाए हैं. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, 'विभिन्न देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध अपने-अपने आधार पर हैं और इन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. भारत और रूस के बीच एक स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी है.'
रूस से तेल खरीदने पर ट्रंप को क्यों लग रही मिर्ची?
दरअसल, यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस को वित्तीय नुकसान पहुंचाने और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दंडित करने के प्रयास में तेल की कीमतों को काफी नीचे ला दिया. इसके बाद भारत ने इस मौके का फायदा उठाया. हालांकि, भारत और रूस के बीच व्यापारिक इतिहास काफी लंबा रहा है. यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध शुरू होने से पहले तक भारत के कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी सिर्फ 0.2 प्रतिशत थी. लेकिन, इसके बाद इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई और मई 2023 तक भारत प्रतिदिन दो मिलियन बैरल से अधिक कच्चा तेल रूस से खरीदने लगा. यह रूस के आयात का लगभग 45 प्रतिशत था.
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