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DNA: 'लेट नाइट निकलेंगी तो रेप को न्योता!', इस शहर में लड़कियों को मिली ऐसी हिदायत, हर कोई हो गया शर्मसार

Crime Against Women: ये पोस्टर उस शहर में लगता है...जिसे दो दिन पहले ही भारत के सबसे सुरक्षित शहर का खिताब मिला है. जिसने सुरक्षित शहरों की रेस में दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों को पीछे छोड़ दिया. जिस शहर में 25 हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. जहां की पुलिस के पास हाईटेक कंट्रोल रूम है.

DNA: 'लेट नाइट निकलेंगी तो रेप को न्योता!', इस शहर में लड़कियों को मिली ऐसी हिदायत, हर कोई हो गया शर्मसार
Rachit Kumar|Updated: Aug 02, 2025, 11:24 PM IST
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Ahmedabad Police Poster: लेट नाइट पार्टी में जाना, रेप या गैंगरेप को न्योता दे सकता है. अहमदाबाद शहर में लगे एक पोस्टर में जो कुछ लिखा है, वो पढ़कर हर कोई गुस्से और तकलीफ में है. लेकिन यह जानना जरूरी है कि इतनी वाहियात हरकत आखिर हुई कैसे? किसने की? और किस शहर में ये सब हुआ? सुरक्षा के लिए सतर्क करने के नाम पर ऐसा विकृत आइडिया आया कैसे?

दरअसल, अहमदाबाद में ये पोस्टर लगाए गए. लिखा गया- गर्ल्स सावधान ! लेट नाइट पार्टी में गई तो...!!!! पोस्टर खुद पुलिस ने नहीं लगाए थे...लेकिन इतना तो तय है कि पुलिस की सहमति से लगे थे.

'ऐ रंगली, रात की पार्टी में जाने का नहीं, रेप-गैंगरेप हो सकता है.
'ऐ रंगला, अंधेरे में सुनसान जगह पर रंगली को लेकर जाने का नहीं. रेप-गैंगरेप हो जाए तो?'

जरा सोचिए ये पोस्टर उस शहर में लगता है...जिसे दो दिन पहले ही भारत के सबसे सुरक्षित शहर का खिताब मिला है. जिसने सुरक्षित शहरों की रेस में दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों को पीछे छोड़ दिया. जिस शहर में 25 हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. जहां की पुलिस के पास हाईटेक कंट्रोल रूम है. कुछ दिन पहले जो स्वच्छता में भी नंबर वन रहा है, जिसे 2036 के ओलंपिक की मेजबानी मिलनी है.

पुलिस को भी सोचना होगा कि उनसे कहां चूक हुई? शहर को बदनाम करने वाले पोस्टर कैसे लग गए? जिम्मेदारी किसकी बनती है? खैर, पोस्टर देख अहमदाबाद शहर में हल्ला मचा तो अधिकारी सामने आए. सफाई दी. पुलिस ने कहा पोस्टर्स को "सतर्कता" नामक के एक एनजीओ ने लगाया है. उन्हें ट्रैफिक जागरूकता अभियान के लिए कहा गया था. लेकिन उन्होंने इनमें ट्रैफिक के अलावा अन्य आपत्तिजनक बातें शामिल कर दीं. और इन विवादित बातों को पुलिस ने मंजूरी नहीं दी थी.

पुलिस ने कुछ पल्ला झाड़ा. कुछ गलतफहमी की आड़ ली. कुल मिलाकर उधर सड़कों से पोस्टर भी हटे और इधर बयानों के जरिए विवाद को साफ करने की भी कोशिश दिखी.बहरहाल, शहर को बदनाम करने वाले पोस्टर अब हटा दिए गए हैं. लेकिन शहर के बाशिंदों के मन से इन पोस्टरों को लगाने पर हैरानी नहीं हटी है.

इस शहर में अब चैन से सोना मुमकिन नहीं,
हर मोड़ पे डर का कोई साया रहता है
दीवारें भी अब बातों से कांपने लगी हैं,
जैसे हर गली में साज़िशें पलती हैं.

किसी शायर की ये पंक्तियां आपके अहमदाबाद पर बिल्कुल फिट नहीं बैठती.आप एक सुरक्षित शहर में हैं. अहमदाबाद पुलिस की जिम्मेदारी आपको सुरक्षा देने की भी है और आइंदा शहर को बदनाम करने वाली ऐसी बेवकूफी भरी करतूतों को रोकने की भी.

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