trendingNow12700064
Hindi News >>देश
Advertisement

एक दिन RSS के साथ आ जाएंगे विरोधी... संघ के 100 साल पर क्या बोले सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले?

Rashtriya Swayamsevak Sangh: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस साल अपने 100 वर्ष का जश्न मनाने जा रहा है. इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केसंघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने रविवार को कहा कि आरएसएस किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं करता और उसे विश्वास है कि एक दिन उसके काम का विरोध करने वाले भी उसके साथ शामिल होंगे.

एक दिन RSS के साथ आ जाएंगे विरोधी... संघ के 100 साल पर क्या बोले सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले?
Abhinaw Tripathi |Updated: Mar 30, 2025, 04:36 PM IST
Share

Rashtriya Swayamsevak Sangh: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने रविवार को कहा कि आरएसएस किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं करता और उसे विश्वास है कि एक दिन उसके काम का विरोध करने वाले भी उसके साथ शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि पिछले 100 वर्षों में राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के आंदोलन के रूप में संघ ने उपेक्षा और उपहास से जिज्ञासा और स्वीकृति की यात्रा की है. उन्होंने क्या कुछ कहा आइए जानते हैं. 

होसबोले ने कहा, “जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी सेवा के सौवें वर्ष पूरे कर रहा है, तो इस बात को लेकर उत्सुकता है कि संघ इस उपलब्धि को किस तरह से देखता है. संघ के लिए यह अपनी स्थापना के समय से ही स्पष्ट रहा है कि ऐसे अवसर उत्सव मनाने के लिए नहीं होते बल्कि हमें आत्मनिरीक्षण करने और उद्देश्य के प्रति फिर से समर्पित होने का अवसर प्रदान करते हैं. यह उन दिग्गज, संत व्यक्तित्वों के योगदान को स्वीकार करने का भी अवसर है जिन्होंने आंदोलन का मार्गदर्शन किया और स्वयंसेवकों और उनके परिवारों की श्रृंखला जो निस्वार्थ रूप से इस यात्रा में शामिल हुए.

होसबोले का 'आरएसएस एट 100' पर लेख विश्व संवाद केंद्र, एक्स पर अपलोड किया गया था. यह लेख संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. यह जयंती वर्ष प्रतिपदा को मनाई जाती है. यह हिंदू कैलेंडर का पहला दिन है. होसबोले का लेख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आरएसएस ने हाल ही में घोषणा की है कि वह 2025 में विजयादशमी दिवस से 12 महीनों तक कई कार्यक्रमों का आयोजन करके अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा.

लेख लिखने का समय भी महत्वपूर्ण था क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया और डॉ. हेडगेवार और दूसरे आरएसएस प्रमुख एम.एस. गोलवलकर की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की. होसबोले ने कहा, "जबकि हर चीज को राजनीतिक चश्मे से देखने की प्रवृत्ति है, संघ अभी भी समाज के सांस्कृतिक जागरण और सही सोच वाले लोगों और संगठनों का एक मजबूत नेटवर्क बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. सामाजिक परिवर्तन में महिलाओं की भागीदारी और परिवार संस्था की पवित्रता को बहाल करना पिछले कुछ वर्षों से संघ का फोकस रहा है. संघ द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रि-शताब्दी समारोह के आह्वान के बाद पूरे भारत में लगभग 10,000 कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें 27 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया - यह इस बात का प्रमाण है कि हम सामूहिक रूप से अपने राष्ट्रीय प्रतीकों का जश्न कैसे मना रहे हैं.

जब संघ का कार्य अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर गया, तो संघ ने राष्ट्र निर्माण कार्य के लिए मुख्य व्यक्ति-निर्माण को ब्लॉक और ग्राम स्तर तक ले जाने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा, "पिछले एक साल में व्यवस्थित योजना और क्रियान्वयन के साथ 10,000 शाखाओं को जोड़ना दृढ़ संकल्प और स्वीकृति का प्रतीक है. प्रत्येक गांव और बस्ती तक पहुंचने का लक्ष्य अभी भी अधूरा है और यह आत्मनिरीक्षण का विषय है. पांच-परिवर्तन का आह्वान - परिवर्तन के लिए पांच-सूत्रीय कार्यक्रम - आने वाले वर्षों में मुख्य फोकस बना रहेगा. शाखा नेटवर्क का विस्तार करते हुए, संघ ने नागरिक कर्तव्यों, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली, सामाजिक रूप से सामंजस्यपूर्ण आचरण, पारिवारिक मूल्यों और आत्म-सम्मान के आधार पर व्यवस्थित परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया है, ताकि हर कोई परम वैभवम नेतुम एतत् स्वराष्ट्रम के बड़े उद्देश्य में योगदान दे सके - हमारे राष्ट्र को गौरव के शिखर पर ले जाना.

होसबोले के अनुसार, संघ के स्वयंसेवकों ने आपातकाल के दौरान जब संविधान पर क्रूर हमला किया गया था, तब शांतिपूर्ण तरीकों से लोकतंत्र को बहाल करने की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा, "संघ ने शाखा की अवधारणा से समाज की धार्मिक शक्ति का आह्वान करके सेवा कार्य में संलग्न होने तक का विस्तार किया है और इन 99 वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है. राम जन्मभूमि मुक्ति जैसे आंदोलनों ने भारत के सभी वर्गों और क्षेत्रों को सांस्कृतिक मुक्ति के लिए जोड़ा. राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर सीमा प्रबंधन, सहभागी शासन से लेकर ग्रामीण विकास तक, राष्ट्रीय जीवन का कोई भी पहलू संघ के स्वयंसेवकों से अछूता नहीं है.

सबसे बड़ी संतुष्टि यह है कि समाज इस व्यवस्थागत परिवर्तन का हिस्सा बनने के लिए आगे आ रहा है. जब दुनिया जलवायु परिवर्तन से लेकर हिंसक संघर्षों तक कई चुनौतियों से जूझ रही है, तो भारत का प्राचीन और अनुभवजन्य ज्ञान समाधान प्रदान करने में सक्षम है. यह विशाल लेकिन अपरिहार्य कार्य तभी संभव है जब भारत माता की हर संतान इस भूमिका को समझे और एक ऐसे घरेलू मॉडल के निर्माण में योगदान दे जो दूसरों को अनुकरण करने के लिए प्रेरित करे. आइए हम सब मिलकर एक सामंजस्यपूर्ण और संगठित भारत का रोल मॉडल दुनिया के सामने पेश करने का संकल्प लें, जिसमें पूरे समाज को सज्जन शक्ति के नेतृत्व में एक साथ लिया जाए. (आईएएनएस)

Read More
{}{}