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सियासी तकरार और बढ़ी! ‘मालिक और गुलाम' कह उद्धव ठाकरे पर क्यों बरस पड़े एकनाथ शिंदे?

Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे ने एक बार उद्धव ठाकरे पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व वाली शिवसेना ‘मालिक और गुलामों’ की नहीं बल्कि समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी है. इसके अलावा 'गद्दार' वाले कमेंट पर शिंदे ने कहा कि ये जनता ने बता दिया है कि कौन गद्दार है.

सियासी तकरार और बढ़ी! ‘मालिक और गुलाम' कह उद्धव ठाकरे पर क्यों बरस पड़े एकनाथ शिंदे?
Tahir Kamran|Updated: Mar 27, 2025, 09:46 AM IST
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Eknath Shinde attack on Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को उद्धव ठाकरे पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके नेतृत्व वाली शिवसेना ‘मालिक और गुलामों’ की नहीं बल्कि समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी है. कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा कि उनके जैसे सैनिक सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए, बल्कि हम जमीना कार्यकर्ता हैं और मैं भी आपका सहयोगी हूं.

मैंने आलोचना का जवाब काम से दिया है

शिवसेना (UBT)  से अलग होने वाले शिंदे ने कहा,'हमने लोगों की जिंदगी में सुनहरे दिन लाने के लिए कड़ी मेहनत की है. हम जमीनी कार्यकर्ता हैं और मैं आपका सहयोगी हूं. यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है, न कि मालिक और गुलामों की पार्टी.' शिंदे ने कहा कि उन्होंने हमेशा आलोचना और दुर्व्यवहार का जवाब अपने काम से दिया है.

कुणाल कामरा के तंज पर क्या बोले?

एकनाथ शिंदे इन दिनों कॉमेडियन कुणाल कामरा के नए शो की वजह से भी चर्चा में चल रहे हैं. कुणाल कामरा ने एक शो के दौरान उनपर 'गद्दार' होने की बात कही है. शिंदे ने इसको लेकर कहा कि राज्य की जनता पहले ही तय कर चुकी है कि असली ‘गद्दार’ कौन है. यह बयान तब आया जब मुंबई में कॉमेडियन कुणाल कामरा के शो में शिंदे पर ‘गद्दार’ कहकर तंज कसा गया. शिवसेना चीफ शिंदे ने एक बार फिर कामरा पर ‘पेड कंटेंट’ का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका पैरोडी गाना उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) के ज़रिए दी गई ‘सुपारी’ का हिस्सा था.

'असली गद्दार कौन?'

शिंदे ने विधान परिषद में कहा,'तुम लोग मुझे बार-बार 'गद्दार' कहते हो, लेकिन जल्द ही तुम्हारी पार्टी के दरवाजे बंद हो जाएंगे. चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट और विधानसभा अध्यक्ष पहले ही बता चुके हैं कि असली 'गद्दार' कौन है. सबसे अहम बात यह है कि जनता ने भी अपना फैसला सुना दिया है. चाहे जितनी भी ‘सुपारी’ दो, कुछ होने वाला नहीं है.'

(इनपुट-भाषा)

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