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Electoral Bond: कोई 'डाक' से दे गया, कोई दरवाजे पर छोड़ गया, मानो राजनीतिक दलों को मिला हो 'गुप्त दान'

Electoral Bond Latest News: चुनावी चंदा किसने दिया, किसको दिया? और कितना दिया सब पता चल गया. इसका हिसाब सामने लाने के लिए चली कानूनी लड़ाई के बीच राजनीतिक दलों ने अजब-गजब कहानी सुनाते हुए कहा कि कोई आया था, दरवाजे पर 10 करोड़ का बॉन्ड छोड़ गया तो किसी ने कहा कि डाक से आए लिफाफे में दान आया था.

Electoral Bond: कोई 'डाक' से दे गया, कोई दरवाजे पर छोड़ गया, मानो राजनीतिक दलों को मिला हो 'गुप्त दान'
Shwetank Ratnamber|Updated: Mar 18, 2024, 01:25 PM IST
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Electoral Bond Latest News: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एक बार फिर देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI को जमकर फटकार लगाई. चंदे की बात निकली तो पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक मौजूद सियासी दलों के दानदाताओं का नाम सामने आया. किसने किसको दिया? कितना दिया सब पता चल गया. चुनावी लेनी-देनी का हिसाब देश की जनता के सामने लाने के लिए लड़ी गई कानूनी लड़ाई के बीच राजनीतिक दलों के साथ कुछ सियासी 'चमत्कार' भी हुए. जिनके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे. चुनावी बॉन्ड को लेकर कहा जा रहा है कि अभी जानकारी अधूरी पब्लिक डोमेन में है. क्योंकि सियासी 'गुप्त दान' के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं मिल सकी है. 

कलियुग में दान का बड़ा महत्व है. आज भी भारत में गुप्त दान देने की परंपरा है. आपने भी बड़े-बूढ़ों से सुना होगा कि दान इस तरह से देना चाहिए कि दाहिने हाथ से दो तो बाएं को भी न पता चले. क्योंकि दान देकर आपने उसका गुणगान कर दिया तो उसका फल नहीं मिलता है. लगता है कि ये बातें कुछ लोगों ने सीरियसली ले लीं और उन्होंने राजनीतिक दलों को ऐसा दान दिया कि उसका पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा.

बहुत सारे राजनीतिक दलों ने चंदा देने वालों के नाम अबतक नहीं बताया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को फटकार लगाई तो उन्होंने जानकारी चुनाव आयोग तक पहुंचाई. वहां से क्या कुछ अजब-गजब कहानी निकल कर सामने आई उसके बारे में अब हम आपको बताने जा रहे हैं.

सियासी दलों को 'गुप्त दान'

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर नई जानकारी अपलोड की जिसमें ये बताया गया है कि किस पार्टी ने किस कंपनी या व्यक्ति से कितना पैसा भुनाया है.

बिहार की बात करें तो - जेडीयू ने जानकारी देते हुए कहा कि उसे पार्टी दफ्तर में एक बंद लिफाफा मिला, जिसमें 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड थे. जिले कोई छोड़ गया था. वो कौन था हम उसे नहीं जानते. हालांकि जेडीयू को कुल 24 करोड़ रुपये से ज्यादा के चुनावी बॉन्ड मिले थे. लेकिन हिसाब वो 10 करोड़ का ही दे पाए. वो भी ये कहकर कि कोई आया था और दरवाजे पर छोड़ गया. 

किस्सा यूपी का - कुछ ऐसी ही अजब-गजब कहानी समाजवादी पार्टी ने सुनाई. समाजवादी पार्टी की ओर से कहा गया था कि उसे बाई पोस्ट यानी डाक के जरिए 10 करोड़ के बॉन्ड मिले. लेकिन किसने भेजे, यह हमको पता नहीं है.

बंगाल की कहानी- टीएमसी ने भी कुछ ऐसी कहानी सुनाई. टीएमसी का कहना है कि दानदाताओं की पहचान विशिष्ट संख्या में चुनावी बांड की मदद से स्थापित की जा सकती है. जो भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी किए गए थे.

ओडिशा - ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेडी को 944.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला.

तमिलनाडु - में डीएमके को कुल चंदे के 77% बॉन्ड एक ही कंपनी से मिले हैं. DMK को फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने दिए 509 करोड़ दिए. 

अभी विस्तार से अध्यन किया जाएगा तो गुप्त दान की न जाने कितनी कहानियां निकल कर सामने आ सकती हैं. 

इस बीच इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड में ऐसे 'गुप्त दान' को लेकर SBI को एकबार फिर से फटकार लगी. सर्वोच्च अदालत ने SBI चैयरमैन से कहा, 'वो गुरुवार तक हलफनामा दाखिल कर हमें बताएं कि आदेश का पालन हो गया है. एसबीआई, चुनाव आयोग को सारी जानकारी उपलब्ध कराएगा. आयोग फौरन उस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर डालेगा. इस बार डिटेलिंग में बॉन्ड नंबर भी शामिल होगा.'

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