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'कश्मीरी पंडितों का पलायन मुसलमानों पर एक कलंक'... महबूबा बोलीं- हमें इस धब्बे को मिटाना है

Jammu And Kashmir: पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और कश्मीरी पंडितों (केपी) को सशक्त बनाने और उनके पलायन को संबोधित करने के लिए उनके लिए राजनीतिक आरक्षण की वकालत की.

 'कश्मीरी पंडितों का पलायन मुसलमानों पर एक कलंक'... महबूबा बोलीं- हमें इस धब्बे को मिटाना है
Syed Khalid Hussain|Updated: Jun 02, 2025, 10:00 PM IST
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Jammu And Kashmir: पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और कश्मीरी पंडितों (केपी) को सशक्त बनाने और उनके पलायन को संबोधित करने के लिए उनके लिए राजनीतिक आरक्षण की वकालत की, जिसे उन्होंने कश्मीरी मुसलमानों पर एक 'धब्बा' बताया. मुफ्ती ने इसे कश्मीरी मुसलमानों पर 'धब्बा मिटाने' के लिए एक कदम के रूप में पेश किया, उन्होंने 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन से जुड़ी कहानी का जिक्र किया, जो इस क्षेत्र के इतिहास में विवाद का विषय रहा है.

मीडिया को संबोधित करते हुए पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'आज जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात हो रही है, हमारे कश्मीरी पंडित भाइयों की सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास.' यह मुद्दा राजनीति से परे है और हमारी सामूहिक अंतरात्मा की गहराई को छूता है. यह सुनिश्चित करना एक नैतिक अनिवार्यता और सामाजिक जिम्मेदारी है कि हमारे पंडित भाई-बहन, जो दुखद रूप से अपनी मातृभूमि से विस्थापित हुए हैं, उन्हें सम्मानजनक, सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से लौटने का अवसर प्रदान किया जाए.

जम्मू-कश्मीर में हर राजनीतिक दल, चाहे वह किसी भी विचारधारा का हो, ने लगातार उनकी वापसी के विचार का समर्थन किया है. उनके विस्थापन का साझा दर्द और सुलह की लालसा हम सभी को इस विश्वास में बांधती है कि कश्मीर एक बार फिर ऐसा स्थान हो सकता है जहां समुदाय शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रह सकें.

'मैं एलजी से आग्रह करती हूं कि वे इस मुद्दे पर चर्चा करें'
इस मोर्चे पर सार्थक प्रगति की सुविधा के लिए, आपके विचार के लिए एक समावेशी और चरणबद्ध रोडमैप संलग्न किया गया है. यह प्रस्ताव सभी हितधारकों के दृष्टिकोण पर जोर देता है, यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी नीति या योजना सहानुभूति, आपसी विश्वास और सबसे महत्वपूर्ण रूप से जमीनी हकीकत पर आधारित हो. उन्होंने कहा, 'मैं एलजी से आग्रह करती हूं कि वे इस मुद्दे पर चर्चा करें. उन्होंने कहा कि समुदाय, नागरिक समाज, स्थानीय नेताओं और संबंधित प्रशासनिक एजेंसियों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए संवाद आधारित प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए. समावेशी विचार-विमर्श के माध्यम से ही हम ऐसा भविष्य तैयार कर सकते हैं, जहां कोई भी समुदाय अपनी ही भूमि पर अलग-थलग महसूस न करे.

अमरनाथ यात्रा पर क्या बोलीं महबूबा
मुफ्ती ने अमरनाथ यात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय लोगों को इसमें शामिल करने का भी आह्वान किया. मुफ्ती ने कहा कि वार्षिक अमरनाथ यात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में स्थानीय लोगों की ऐतिहासिक भूमिका होती है. यह मांग एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन में स्थानीय भागीदारी और सद्भावना को बढ़ावा देने के साथ जुड़ी हुई है, जिसका क्षेत्र के लिए आर्थिक और सामाजिक निहितार्थ भी है.

महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरियों को रिहा करने की मांग की 
महबूबा ने जेलों से गंभीर आरोपों के बिना कश्मीरियों को रिहा करने की भी मांग की, खासकर ईद से पहले. उन्होंने कहा, 'ईद से पहले, मुफ्ती ने जेलों में बंद कश्मीरियों, खासकर उन लोगों की रिहाई की मांग की, जिन पर गंभीर आरोप नहीं हैं. उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में बंद कैदियों को वापस इस क्षेत्र में लाया जाए, ताकि परिवार तक पहुंच आसान हो सके और मानवीय चिंताओं का समाधान हो सके.'

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