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Satya Pal Malik death: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का लंबी बीमारी के बाद निधन, RML अस्पताल में ली अंतिम सांस

Satya Pal Malik Death: जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक का निधन शुक्रवार को निधन हो गया है. वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उनका इलाज RML अस्पताल में चल रहा था. मलिक के निधन की जानकारी उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर दी गई है.  

Satya Pal Malik death: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का लंबी बीमारी के बाद निधन, RML अस्पताल में ली अंतिम सांस
krishna pandey |Updated: Aug 05, 2025, 02:47 PM IST
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Satyapal Malik passes away at 79: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. सत्यपाल मलिक एक अनुभवी राजनेता थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है. मलिक के निधन की जानकारी उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर दी गई है.

किडनी की समस्या से थे परेशान
सत्यपाल मलिक जो जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल थे. का 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे 79 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे. उनके निधन की खबर उनके आधिकारिक एक्स अकाउंट और विभिन्न समाचार स्रोतों द्वारा पुष्टि की गई है.

पहले मौत की फैल चुकी थी अफवाहें
हालांकि, जुलाई 2025 में उनके निधन की अफवाहें भी फैली थीं, जिन्हें उनके निजी सचिव ने खारिज कर दिया था. निजी सचिव कंवर सिंह राणा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पूर्व राज्यपाल के आधिकारिक अकाउंट से लिखा था- आदरणीय पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी अभी ICU में भर्ती हैं ओर वरिष्ठ चिकित्सकों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है. अफवाहों से बचें ओर कोई भी ग़लत खबर ना फैलाएं.

मलिक अपने बेबाक बयानों और राजनीतिक करियर के लिए जाने जाते थे, जिसमें उन्होंने चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में अपनी शुरुआत की और विभिन्न दलों जैसे जनता दल, समाजवादी पार्टी और भाजपा से जुड़े रहे.

मई में सीबीआई ने दाखिल की थी चार्जशीट
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने किरू पनबिजली परियोजना रिश्वत मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. सीबीआई ने 2022 में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कहा था कि यह मामला 2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर (एचईपी) परियोजना के सिविल कार्यों के लगभग 2,200 करोड़ रुपए के ठेके को एक निजी कंपनी को देने में कथित गड़बड़ी से संबंधित है.

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