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सरकारी स्कूल में मजारों का मकड़जाल? सालभर से मिल रही शिकायत.. अब कैमरे पर सच बोल गए शिक्षा अधिकारी

Sehore News: स्कूल प्रबंधन ने डेढ़ साल पहले जिला शिक्षा अधिकारी संजय सिंह तोमर को शिकायत दर्ज कराई थी कि मजारों की वजह से स्कूल का वातावरण पढ़ाई के लिए अनुकूल नहीं रह गया है. लेकिन अधिकारी ने इस शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया. Photo: AI

सरकारी स्कूल में मजारों का मकड़जाल? सालभर से मिल रही शिकायत.. अब कैमरे पर सच बोल गए शिक्षा अधिकारी
Zee News Desk|Updated: Dec 06, 2024, 01:45 PM IST
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Sehore Government Schools: कई बार सरकारी कामकाज में अधिकारी अक्सर अपनी धीमी कार्यशैली से चर्चा में रहते हैं. जनता की शिकायतें और समस्याएं फाइलों के ढेर तले दबकर रह जाती हैं, और जब मामला सुर्खियों में आता है, तब जवाबदेही का खेल शुरू होता है. हालांकि ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में सामने आया है, जहां जिला शिक्षा अधिकारी पर एक गंभीर शिकायत को डेढ़ साल तक दबाने का आरोप लगा है.

मजारों की समस्या पर अधिकारी की चुप्पी
असल में जानकारी के मुताबिक सीहोर जिले के कई सरकारी स्कूलों में मजारों का मकड़जाल बच्चों और शिक्षकों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है. स्कूल प्रबंधन ने डेढ़ साल पहले जिला शिक्षा अधिकारी संजय सिंह तोमर को शिकायत दर्ज कराई थी कि मजारों की वजह से स्कूल का वातावरण पढ़ाई के लिए अनुकूल नहीं रह गया है. लेकिन अधिकारी ने इस शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया. कैमरे पर दिए अपने बयान में अधिकारी खुद इस बात को स्वीकार रहे हैं कि शिकायत उनके पास पहुंची थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. 

जांच का भरोसा, लेकिन जमीनी हकीकत अनदेखी
शिक्षा अधिकारी ने अब जांच करवाने की बात कही है. हालांकि, बिना किसी जांच के वे यह भी कह रहे हैं कि उत्कृष्ट स्कूल सीहोर में सिर्फ एक मजार है. हैरानी की बात यह है कि यदि समय पर कार्रवाई की गई होती, तो उन्हें पता चलता कि एक दर्जन से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां मजारें मौजूद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अधिकारी जानबूझकर इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं, या फिर यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का एक और उदाहरण है?

बच्चों की पढ़ाई पर असर, लेकिन कोई हल नहीं!
उधर आरोप यह भी है कि मजारों की वजह से स्कूल का माहौल प्रभावित हो रहा है. बच्चों और शिक्षकों को पढ़ाई में परेशानी हो रही है, और यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है. सवाल यह है कि जब समस्या इतने लंबे समय से सामने है, तो आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या अधिकारी का रवैया इस ओर इशारा करता है कि इस मकड़जाल को अनदेखा किया गया है. जी ब्यूरो

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