Himachal Pradesh News: आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सरकार द्वारा मंदिरों से पैसे मांगने के मुद्दे ने राज्य की राजनीति को पूरी तरह से गरमा दिया है. भाजपा और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर तल्ख टिप्पणियां कर रहे हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और नैना देवी के विधायक रणधीर शर्मा, मंदिर न्यासी प्रदीप शर्मा, पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष होशियार सिंह ठाकुर और श्रद्धालुओं ने इस मुद्दे पर अपनी-अपनी राय व्यक्त की है.
इस विवाद का मुख्य मुद्दा यह है कि प्रदेश सरकार मंदिरों के पैसे का उपयोग किस उद्देश्य के लिए करेगी. भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस सरकार वित्तीय संकट से जूझ रही है और अब वह मंदिरों के पैसे का इस्तेमाल अपनी योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए करना चाहती है, जो गलत है, वहीं, कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि यह मुद्दा केवल राजनीतिक फायदे के लिए उठाया जा रहा है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और नैना देवी के विधायक रणधीर शर्मा ने कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हिमाचल सरकार पर वित्तीय संकट मंडरा रहा है.
ऐसे में अब वह मंदिरों के पैसे का सहारा लेना चाहती है. सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए मंदिरों के पैसे का इस्तेमाल करने के लिए आदेश जारी कर रही है, जो बिल्कुल भी उचित नहीं है. भाजपा इस कदम का पूरी तरह से विरोध करती है और प्रदेश सरकार से मांग करती है कि वह मंदिरों के पैसों का दुरुपयोग न करे. पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष एडवोकेट होशियार सिंह ठाकुर ने कहा कि हर सरकार अपने समय में मंदिरों के पैसों का उपयोग करती रही है. मुख्यमंत्री राहत कोष में भी समय-समय पर मंदिरों के पैसों का योगदान लिया जाता रहा है.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार सामाजिक योजनाओं के लिए मंदिरों के पैसों का उपयोग करना चाहती है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर कोई असर न पड़े और मंदिरों का पैसा सिर्फ मंदिरों के विकास के लिए खर्च किया जाए. मंदिर न्यासी प्रदीप शर्मा ने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा इस मुद्दे को केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठा रही है. उन्होंने बताया कि जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, तो भाजपा ने भी मंदिरों के पैसों का इस्तेमाल अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए किया था.
उन्होंने कहा कि उस समय आदेश जारी किए गए थे कि मंदिरों का 15 प्रतिशत पैसा गौशालाओं पर खर्च किया जाए. इसके अलावा, मुख्यमंत्री राहत कोष में भी कई बार मंदिरों का पैसा भेजा गया था. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से मंदिरों से कोई पैसा नहीं लिया गया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आश्रय योजना के लिए मंदिरों के पैसे को लेने की बात कर रहे थे और भाजपा ने इस मुद्दे को बड़ा बना दिया है, ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके. वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिरों के पैसों का उपयोग केवल मंदिरों के विकास कार्यों पर होना चाहिए. उनका यह भी कहना है कि सरकार चाहे जो भी हो, श्रद्धालुओं के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की मूलभूत सुविधाओं के लिए वह पैसा खर्च किया जाए. (आईएएनएस)
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