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'हिंदी बोलूंगा..' ऑटो ड्राइवर ने इतना कहा तो लाल हुए ठाकरे के कार्यकर्ता, ऑन कैमरा जमकर पीटा

Hindi-Marathi Row: शिवसेना UBT और MNS के कुछ समर्थकों ने विरार स्टेशन के पास उस ड्राइवर को घेर लिया और उसके साथ मारपीट की. उसे सार्वजनिक रूप से पूरे महाराष्ट्र से माफी मांगने को मजबूर किया गया.

'हिंदी बोलूंगा..' ऑटो ड्राइवर ने इतना कहा तो लाल हुए ठाकरे के कार्यकर्ता, ऑन कैमरा जमकर पीटा
Gaurav Pandey|Updated: Jul 13, 2025, 02:23 PM IST
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Maharashtra language clash: महाराष्ट्र में मराठी हिंदी का विवाद थमने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है. इसी कड़ी में पालघर जिले के विरार स्टेशन पर एक ऑटो चालक को ठाकरे के कार्यकर्ताओं ने पीट दिया. और उसे सिर्फ यह कहने पर पीटा कि उसने कहा था कि मैं हिंदी बोलूंगा. शिवसेना उद्धव गुट और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना MNS के कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक रूप से पीट दिया. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें कुछ महिला कार्यकर्ताओं सहित कई लोग उस चालक को थप्पड़ मारते और माफी मांगने के लिए मजबूर करते दिख रहे हैं.

 भाषा को लेकर बहस हुई..
दरअसल यह घटना तब हुई जब ऑटो ड्राइवर का एक पुराना वीडियो सामने आया है. इसमें विरार स्टेशन पर इन ऑटो ड्राइवर और एक अन्य शख्स के बीच भाषा को लेकर बहस हुई थी. वीडियो में ड्राइवर बार-बार कहता है कि वह हिंदी और भोजपुरी में बात करेगा. जबकि दूसरे शख्स का कहना था कि सार्वजनिक जगहों पर मराठी का सम्मान होना चाहिए. ड्राइवर अपनी बात और भाषा पर अड़ा रहा.

 माफी मांगने को मजबूर किया गया..
अब इसी वीडियो के आधार पर शिवसेना UBT और MNS के कुछ समर्थकों ने विरार स्टेशन के पास उस ड्राइवर को घेर लिया और उसके साथ मारपीट की. उसे सार्वजनिक रूप से पूरे महाराष्ट्र से माफी मांगने को मजबूर किया गया. मौके पर मौजूद शिवसेना UBT के विरार प्रमुख उदय जाधव ने कहा कि मराठी भाषा या महाराष्ट्र का अपमान सहन नहीं होगा. जवाब शिवसेना स्टाइल में ही मिलेगा.

पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया..
हैरानी की बात यह है कि इतनी सार्वजनिक घटना के बावजूद अब तक पालघर पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है. पुलिस का कहना है कि उन्हें किसी भी पक्ष से अब तक शिकायत नहीं मिली है. वायरल वीडियो के आधार पर जांच की जा रही है.

बता दें कि इससे पहले 1 जुलाई को ठाणे में एक फूड वेंडर को मराठी में बात न करने पर MNS कार्यकर्ताओं ने थप्पड़ मारे थे. इसके बाद व्यापारी संगठनों ने इसका विरोध किया. लेकिन 8 जुलाई को एमएनएस और सहयोगी संगठनों ने ‘मराठी अस्मिता’ के समर्थन में रैली निकाली थी.

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