HMPV: दिल्ली में मेडिकल अफसरों ने रविवार को ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) और अन्य सांस से संबंधी बीमारियों से जुड़े खतरों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. मेडिकल सर्विसेज की महानिदेशक डॉ. वंदना बग्गा ने दिल्ली में सांस से जुड़ी बीमारियों की तैयारियों के बारे में मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारियों और राज्य एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) अधिकारी के साथ चर्चा की. सलाह के मुताबिक अस्पतालों को IHIP पोर्टल के माध्यम से इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (SARI) के मामलों की रिपोर्ट करनी चाहिए.
उन्हें संदिग्ध मामलों को अलग करने और मानक सुरक्षा उपायों का पालन करने के लिए भी सख्त होना चाहिए. सटीक ट्रैकिंग की सुविधा के लिए SARI मामलों और प्रयोगशाला-पुष्टि किए गए इन्फ्लूएंजा मामलों के लिए उचित दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताओं की भी स्थापना की गई है. इसके अलावा अस्पतालों में हल्के मामलों के इलाज के लिए पैरासिटामोल, एंटीहिस्टामाइन, ब्रोन्कोडायलेटर्स, कफ सिरप और ऑक्सीजन मौजूद होना चाहिए.
चीन में HMPV के प्रकोप और सांस संबंधी बीमारियों में इजाफे की रिपोर्ट के बाद ये उपाय लागू किए गए थे. हालांकि बयान के मुताबिक आईडीएसपी, नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2 जनवरी 2025 तक के आंकड़ों से सांस संबंधी बीमारियों में कोई खास इजाफा नहीं होने का संकेत मिलता है.
HMPV को लेकर कोरोना का दौर याद आने लगा है. उस दौर में वैकल्पिक या भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली ने लोगों की काफी मदद की थी तो क्या किसी भी विषम स्थिति में वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली होम्योपैथी कारगर साबित हो सकती है? होमियो एमिगो दिल्ली में सीनियर होम्योपैथिक डॉक्टर और क्लस्टर हेड डॉ आकांक्षा द्विवेदी ने भी इसको लेकर लोगों को बताया. उन्होंने कुछ कारगर तरीके भी सुझाए. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस जिसे एचएमपीवी के नाम से भी जाना जाता है एक प्रकार का सामान्य श्वसन वायरस है. जो सभी उम्र के लोगों में फैल सकता है. इस वायरस का ज्यादा असर बुजुर्गों और छोटे बच्चों पर होने की आशंका है. वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में अगर आप आते हैं तो आप भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.
जैसे नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, थकान, खांसी, बुखार या फिर ठंड लगने लगती है. डॉ द्विवेदी के मुताबिक ये आम से लक्षण आगे चलकर बड़ी आफत का सबब बन सकते हैं. फेफड़े प्रभावित हो सकते हैं. सांस लेने में दिक्कत होती है घरघराहट सुनाई जाती है, अस्थमा संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं, सांस फूलने लगती है, थकान बढ़ जाती है, बच्चों की छाती का संक्रमण घातक साबित हो सकता है.
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