ये तो हद हो गई! आपने चावल, दाल या ऐसी दूसरी चीजों की मिक्सिंग देखी होगी लेकिन एक अस्पताल की लापरवाही के चलते शव ही मिक्स हो गए. परिवार दूसरे का शव लेकर एंबुलेंस से बिहार के लिए भी निकल गया. रास्ते में जब खबर मिली तो लोगों के होश उड़ गए.
मामला चेन्नई के पास तिरुवल्लूर सरकारी अस्पताल का है. यहां शव ऐसे मिक्स हो गए कि 69 साल के स्थानीय व्यक्ति की डेडबॉडी को एंबुलेंस से बिहार के लिए रवाना कर दिया गया. गाड़ी 800 किमी से ज्यादा दूर चली गई थी तब अधिकारियों के फोन पर गाड़ी वापस मोड़ी गई.
वो दो शव किसके थे?
मृतक राजेंद्रन (69) एक मजदूर था. बताया गया कि आत्महत्या के प्रयास के एक दिन बाद पिछले मंगलवार को अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई थी. जिस व्यक्ति के साथ उसका शव मिक्स हुआ, वह 55 साल का निर्माण मजदूर मनोज मांझी था. वह बीमार थे और 2 जून को अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
पोस्टमॉर्टम के बाद अस्पताल ने बुधवार को कपड़े में लिपटे शव को राजेंद्रन के रिश्तेदारों को सौंप दिया. जब परिवार के सदस्यों ने चेहरा देखा तो वे हैरान रह गए क्योंकि यह तो राजेंद्रन का शव ही नहीं था. उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया. अस्पताल के कर्मचारियों ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की तब पूरी कहानी पता चली.
पासवर्ड का खेल!
हालांकि कर्मचारियों ने दावा किया कि सीसीटीवी रिकॉर्डिंग अधूरी है. पासवर्ड की बात आई. कहा गया कि पूरी फुटेज देखने के लिए पासवर्ड नहीं है. परिवारवाले और नाराज हो गए और अस्पताल के कर्मचारियों और पुलिस के साथ बहस भी शुरू हो गई. आखिरकार अस्पताल प्रशासन ने गड़बड़ी मानी.
अस्पताल की लापरवाही
जांच से पता चला कि राजेंद्रन के परिवार को दिया गया शव वास्तव में मांझी का था. बिहार के मांझी 30 मई को चेन्नई आए थे और 2 जून को एक सड़क निर्माण स्थल पर गए थे. वहीं बीमार पड़ गए और उसी दिन गिर गए. उन्हें तिरुवल्लूर अस्पताल ले जाया गया. बिहार से आए एक रिश्तेदार ने शव का दावा किया और बिना जांच किए शव एंबुलेंस से रवाना कर दिया गया.
जब अस्पताल के कर्मचारियों ने एंबुलेंस ड्राइवर से संपर्क किया तब तक वह हैदराबाद से आगे पहुंच चुका था. उन्हें राजेंद्रन के शव के साथ लौटने का निर्देश दिया गया. एंबुलेंस गुरुवार शाम अस्पताल पहुंची.
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