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मुस्लिमों में कैसे होता है नामकरण? बेहद आसान है तरीका, बस रखी जाती है एक शर्त

Naming in Islam: हिंदू धर्म में नाम रखने के कुछ जरूरी शर्तें होती हैं हालांकि इस्लाम में धर्म में ऐसा नहीं है. मुसलमानों में नाम रखने का बेहद आसान तरीका है. बस एक शर्त पर ध्यान देने की बात कही गई है. तो चलिए जानते हैं कि इस्लाम में नामकरण कैसे होता है?

मुस्लिमों में कैसे होता है नामकरण? बेहद आसान है तरीका, बस रखी जाती है एक शर्त
Tahir Kamran|Updated: Apr 29, 2025, 06:25 PM IST
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Child Naming in Islam: किसी भी चीज़ की पहचान के लिए उसका नाम बेहद जरूरी होता है. किसी व्यक्ति की पहचान का एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण हिस्सा उसका नाम होता है. नाम व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है. नाम वह प्रथम पहचान है जो उस व्यक्ति को कुछ बताती है जिसके नाम पर वह रखा गया है. नाम संचार, प्रेम और अच्छे व्यवहार में एक सीढ़ी के तौर पर भी काम करता है. ऐसे में किसी बच्चे का नाम रखते समय कई तरह के कदम उठाए जाते हैं, हालांकि इस्लाम धर्म में ऐसा नहीं है.

हिंदू धर्म में नाम रखने का तरीका

हिंदू धर्म की बात करें तो उसमें नाम रखने को लेकर कुछ जरूरी कदम उठाए जाते हैं. जैसे कि पंडित जी को बच्चे की के जन्म का दिन, तारीख और समय दी जाती है. इसके बाद वो फिर ग्रहों नक्षत्रों की समीकरण के हिसाब से नाम का पहला अक्षर बताते हैं. इसके बाद बच्चे के पेरेंट्स पंडित जी के सुझाए गए अक्षर वाले नामों में से कोई अच्छा सा नाम रख लेते हैं. 

इस्लाम में कैसे रखा जाता है बच्चों का नाम

वहीं अगर इस्लाम धर्म की बात करें तो उसमें ऐसे बिल्कुल भी नहीं है. इस्लाम धर्म में बच्चों का नाम कोई भी और कुछ भी रख सकता है. हालांकि कहा जाता है कि अक्सर वही नाम रखे जाने चाहिए जिनका अर्थ अच्छा हो. क्योंकि कहा जाता है कि नाम व्यक्ति के मूड को बदल देता है, उसकी आदतों और व्यवहार पर गहरा प्रभाव डालता है. अच्छे और महान अर्थ वाले नाम व्यक्ति को सकारात्मक सोचने पर मजबूर करते हैं, जबकि बुरे नाम व्यक्ति को नकारात्मक विचारों में डुबाये रखते हैं.

इस्लाम में नहीं ढूंढते पहला अक्षर

ध्यान रहे कि इस्लाम धर्म में नामकरण के लिए अक्षर की तलाश करने में कोई सच्चाई नहीं है और न ही इसका कोई कानूनी दर्जा है, इसलिए कहा जाता है कि अपने बच्चे का कोई भी अच्छा नाम रख सकते हैं. हालांकि जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है थोड़ा तरीका बदलता जा रहा है. पहले लोग मस्जिद के इमामों और उलेमाओं के पास आकर अपने बच्चों के नाम पूछते थे, जबकि आजकल लोगों ने इंटरनेट की मदद से खूबसूरत नामों की तलाश कर लेते हैं.

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