RTI: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में सूचना के अधिकार (RTI) कानून के दुरुपयोग पर गहरी चिंता जताई है. कोर्ट एक मामले की सुनवाई के दौरान इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त की, जिसमें एक फिजूलखर्ची भरी RTI याचिका में यह जानने की कोशिश की गई कि किसी सरकारी दफ्तर में एक दिन में कितने समोसे परोसे जाते हैं. यह मामला तब सामने आया जब राज्य सूचना आयोग (SIC) ने हाईकोर्ट को बताया कि उसे ऐसी बेमतलब की RTI अर्जियां मिल रही हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कहा है कि सूचना के अधिकार जैसे कानूनों का मकसद लोगों की भलाई होती है, लेकिन लोग इसकी बर्बादी करने में जुटे हैं. बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयोग (SIC) ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि उन्हें ऐसे ऐसे RTI आवेदन मिलते हैं, जिनका कोई मतलब नहीं होता. हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है.
RTI के जरिए दुल्हा खोज रहे लोग
SIC ने बताया कि उन्हें हाल ही में एक आरटीआई आवेदन मिला है जिसमें पूछा गया है कि एक सरकारी दफ्तर में एक दिन में कितने समोसे परोसे जाते हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि यह मसला गंभीर है. चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने कहा, “कानून भलाई के उद्देश्य से बनाए जाते हैं, लेकिन लोग इसके जरिए दामादों की ढूंढ रहे हैं, सरकारी नौकरी वालों को ढूंढ रहे हैं जो कि चिंताजनक है.
कब आया मामला सामने
यह मामला बुधवार को उस सुनवाई के दौरान सामने आया जब पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेश गांधी और पांच RTI कार्यकर्ताओं ने एक जनहित याचिका (PIL) दायर की थी. याचिका में मांग की गई थी कि राज्य सूचना आयुक्त को दूसरी अपील और शिकायतों का निपटारा 45 दिनों के भीतर करने के लिए रोडमैप तैयार करना चाहिए. हालांकि, SIC ने कोर्ट को बताया कि निपटारे में देरी का कारण सूचना आयुक्तों के खाली पद हैं. याचिकाकर्ताओं ने करीब 1 लाख लंबित शिकायतों का हवाला देते हुए तीन अतिरिक्त पद भरने की मांग की.
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता हमेशा सरकार में कमियां ही निकालते हैं और उनका रवैया नकारात्मक होता है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि RTI अधिनियम में दूसरी अपीलों के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं है. बेंच ने फैसला सुनाते हुए उम्मीद जताई कि SIC शिकायतों का जल्द से जल्द निपटारा करेगी.
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