Russian oil imports US Tariffs: एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 में रूस से अपनी जरूरत का करीब 40 फीसदी तेल अपनी सुविधा के हिसाब से कम दाम में खरीदा. भारत, रूस से सस्ता तेल क्यों खरीद रहा है इससे खैर आए ट्रंप ने आव देखा न ताव भारत पर 50 फीसदी टैरिफ जड़ दिया. ऐसे में अब आम आदमी के मन में ये जिज्ञासा हो सकती है भारत, रूस से कितना तेल खरीदता है, कितने रुपयों का कारोबार करता है जो अमेरिका का मिर्ची लग रही है. दूसरा अगर भारत, रूस से तेल खरीदना बंद कर दे भारत का कच्चे तेल का आयात बिल कितना बढ़ जाएगा? आइए आपको समझाते हैं, रूसी तेल की खरीदी का गुणा-गणित.
भारत रूस से खरीदता है कितना तेल?
2023 में भारत रूस से न के बराबर तेल खरीदता था और पूरी तरह से मिडिल ईस्ट के मंहगे तेल के आयात पर निर्भर था. लेकिन वित्तीय वर्ष 2024-25 में बनी परिस्थितियों और तत्कालीन बाइडेन प्रशासन की हरी झंडी की वजह से भारत ने अच्छी खासी तादाद में रूस से तेल खरीदना शुरू कर दिया. खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के परवान चढ़ने के बाद भारत के ऑयल इंपोर्ट में एक बड़ा शिफ्ट देखने को मिला और इस तरह से भारत का 40 फीसदी तेल रूस से आने लगा.
क्या इशारा देता है क्रूड ऑयल मार्केट और रूसी तेल की खरीद पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद अगर भारत, रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है तो भारत के क्रूड ऑयल इंपोर्ट का बिल इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में 9 अरब डॉलर तक और 2026-27 में 12 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत, हालात बिगड़ने की स्थित में एक विकल्प के रूप में इराक से कच्चा तेल खरीदने पर विचार कर सकता है. वहीं रूस से तेल खरीददारी की कटौती करने पर भारत के पास सऊदी अरब और यूएई का विकल्प हो सकता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने जब रूस से तेल खरीदना शुरू किया उसका सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि इंटरनेशनल ऑयल मार्केट में क्रूड की कीमतें स्थिर रहीं.
भारतीय बाजार की जरूरत क्या है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत हर साल लाखों करोड़ रुपए का कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल दूसरे देशों से खरीदता है. वहीं तेल की खपत की बात करें तो चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे नंबर पर आता है. वहीं भारत की कुल जरूरतों का 85 फीसदी तेल दूसरे देशों से आता है. माना जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप कुल 11 लाख करोड़ रुपए को पूरी तरह अमेरिकी झोली में भरना चाहते हैं, वो चाहते हैं कि भारत की तेल की जितनी भी मांग है वो केवल और केवल अमेरिका के जरिए पूरी हो. भारत ने 2024-25 में अपनी जरूरत का मात्र 3.5% तेल अमेरिका से खरीदा. अब ट्रंप ये चाहते हैं कि भारत रूस से सस्ता तेल न लेकर अमेरिका से डॉलर में उसके मनचाहे दाम में मंहगा तेल खरीदे.
विश्व में भारत कच्चे तेल का इंपोर्ट करने के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है. अपनी 85% डिमांड को भारत तेल खरीदकर पूरा करता है. इसमें एक तिहाई से अधिक तेल रूस से आता है. भारत ने साल 2024 में रोज लगभग 1.8 मिलियन बैरल रूसी कच्चा तेल खरीदा, जो कि रूस के कुल तेल निर्यात का लगभग 37 प्रतिशत है. इसी वजह से अमेरिका भारत से कुढ़ गया और उसने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया.
2024 में इन देशों से भारत ने खरीदा कच्चा तेल
रूस : प्रतिदिन 1.8 मिलियन बैरल
इराक : प्रतिदिन 1.02 मिलियन बैरल%
सऊदी अरब : प्रतिदिन 0.64 मिलियन बैरल
UAE : प्रतिदिन 0.45 मिलियन बैरल
अमेरिका : प्रतिदिन 0.17 मिलियन बैरल
भारत का फायदा ट्रंप को हजम नहीं हो रहा?
दरअसल भारत ने 2024 में प्रतिदिन जितने तेल का आयात किया, उसमें 36.3% हिस्सेदारी के साथ रूस पहले नंबर पर इराक (20.5 %) दूसरे और सऊदी अरब (13%) तीसरे और चौथे नंबर पर UAE (9%) और 5वें नंबर पर अमेरिका (3.5%) रहा.
FAQ
सवाल- रूस का ऑयल बिजनेस कितना है?
जवाब- रूस वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति का 10% हिस्सा है, अगर सभी देश रूस से खरीदना बंद कर देते हैं. अन्य देश अपना उत्पादन नहीं बढ़ाता है, तो कच्चे तेल की कीमत 10% बढ़ सकती है.
सवाल- रूस दुनिया की कुल जरूरत का कितने फीसदी हिस्से की सप्लाई करता है?
जवाब- रूस दुनिया के तेल की कुल जरूरत की 10% डिमांड करता है पूरी करता है. रूस रोजाना 95 लाख बैरल तेल का प्रोडक्शन करता है. कच्चे तेल की कीमतों और इस डिमांड में बैलेंस बना रहता है.
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