पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया ही था कि अचानक एक के बाद एक पाकिस्तान के 14 जासूस शिकंजे में आ गए. ऐसे में मन में सवाल उठता है कि आखिर इन तक खुफिया एजेंसियां कैसे पहुंचीं? इस सवाल का जवाब चौंकाने वाला है. इन एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि जब भारत ने 9 आतंकी ठिकाने तबाह किए, तभी बौखलाए पाकिस्तान ने जवाब देने के मकसद से पाकिस्तान हाई कमीशन के वीजा डेस्क पर तैनात दानिश को भारत में अपने सभी जासूसों को एक्टिव करने का आदेश दे दिया.
भारत के हमले के बाद पाक से हुई मिस्टेक
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के PIO (पाक खुफिया ऑपरेटिव) ने अपने जासूसों से सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से भारतीय सैन्य ठिकानों, सेना के मूवमेंट्स, सैन्य बेस, एयरबेस की संवेदनशील जानकारियां मंगाना तेज कर दिया. जासूसों से संपर्क करने के लिए इन्होंने अलग-अलग सोशल मीडिया एप का सहारा लिया. इधर, भारतीय खुफिया एजेंसियां पहले से ही इन संदिग्ध जासूसों को मॉनिटर कर रही थीं लेकिन जब इन जासूसों से जानकारी लेने के बाद पेमेंट देने के लिए पाकिस्तान से पे-पल पेमेंट एप, ऑनलाइन गैंबलिंग एप, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, हवाला, UPI और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए 20 हजार से लेकर एक लाख रुपए भेजे गए तो ये सब सुरक्षा एजेंसियों के इंटरसेप्शन में आ गए.
तड़ातड़ खुलने लगे नाम
सीजफायर के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों के राडार पर वे सोशल मीडिया अकाउंट और फोन नंबर आए, जो लड़ाई के दौरान लगातार एक्टिव थे और ISI के संपर्क में थे. सूत्रों के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाक से भारत में हुए हवाला, UPI और बिटक्वाइन ट्रांजेक्शन की जानकारी डार्क वेब पर मिली. इन ट्रांजेक्शन्स की पड़ताल में पाकिस्तान की जासूस ज्योति मल्होत्रा, अरमान, देवेंद्र सिंह ढिल्लो, मोहम्मद मुर्तजा अली, सुखप्रीत सिंह, करनबीर सिंह, नोमान इलाही, हारून, तुफैल, सुखदेव सिंह गोहिल, शहजाद और मोतीराम जाट, कासिम उसके भाई हसीन और यूटूबर जसबीर सिंह की जानकारी मिली.
देश भर में फैले इन संदिग्ध जासूसों के बारे में गृह मंत्रालय को जानकारी दी गई. कार्रवाई से पहले जासूस अंडर ग्राउंड न हो जाए लिहाजा हर राज्यों की पुलिस को फौरन इन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए. इसके साथ ही राज्यों की पुलिस आरोपी जासूसों की गिरफ्तारी से पहले सबूत जुटाने के लिए जांच करती उससे पहले ही सुरक्षा एजेंसियों ने तमाम जासूसों की लोकेशन और पाकिस्तान में की गई बात का IP एड्रेस जांच एजेंसियों को मुहैया करवा दिया.
गिरफ्तार किए गए तमाम जासूसों से सबसे पहले IB ने पूछताछ की और उनके दूसरे एसेट और पाकिस्तानी हैंडलर के बारे में जानकारी जुटाई. जांच में सामने आया कि सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए पाकिस्तान हाई कमीशन में तैनात PIO भारतीय सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे जिसका IP एड्रेस चाणक्यपुरी का आता था. लेकिन भारत द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोगों ने पाकिस्तान से ही अपने जासूसों को फोन करना शुरू कर दिया था जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई. इसी के चलते बड़े आराम से उसका पूरा जासूसी नेटवर्क भरतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गया था.
सूत्रों के मुताबिक देश के अलग-अलग राज्यों में अभी भी कई ऐसे संदिग्ध जासूस एक्टिव हैं जिनकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को है.
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