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मैं भी पीड़ित हूं... उपराष्ट्रपति ने चीफ जस्टिस बीआर गवई को क्यों कहा शुक्रिया?

Vice President Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चीफ जस्टिस के बयान को दोहराते हुए प्रोटोकॉल पर चिंता व्यक्त की है. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं खुद भी इस चीज का पीड़ित हूं. 

मैं भी पीड़ित हूं... उपराष्ट्रपति ने चीफ जस्टिस बीआर गवई को क्यों कहा शुक्रिया?
Tahir Kamran|Updated: May 20, 2025, 01:00 AM IST
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उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को दिल्ली में एक प्रोग्राम के दौरान प्रोटोकॉल यानी सरकारी नियम-कायदों के पालन की अहमियत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जैसे हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने प्रोटोकॉल को लेकर चिंता जताई थी, वैसे ही मैं भी एक ‘सफरर’ यानी इसका शिकार रहा हूं. धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें तो आमतौर पर लगाई जाती हैं, लेकिन उप-राष्ट्रपति की तस्वीर नहीं दिखाई देती.

चीफ जस्टिस को कहा शुक्रिया

दिल्ली में एक प्रोग्राम के दौरान धनखड़ ने कहा,'आपने कई जगह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें देखी होंगी लेकिन उप-राष्ट्रपति की नहीं. जब मैं पद छोड़ूंगा, तब मैं सुनिश्चित करूंगा कि मेरे उत्तराधिकारी की तस्वीर जरूर लगे. धनखड़ ने कहा,'आज सुबह मुझे एहसास हुआ कि देश में एक बहुत जरूरी चीज है और वह सिर्फ व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि पद के लिए है और वह है प्रोटोकॉल का पालन. चीफ जस्टिस ने यह मुद्दा व्यक्तिगत रूप से नहीं, बल्कि अपने पद की गरिमा के लिए उठाया. मुझे पूरा भरोसा है कि अब इसे सभी अधिकारी ध्यान में रखेंगे.' उप-राष्ट्रपति ने कहा,'मैं चीफ जस्टिस का आभारी हूं कि उन्होंने नौकरशाही का ध्यान इस तरफ ध्यान दिलाया. प्रोटोकॉल का पालन बुनियादी जरूरत है.'

क्या बोले थे चीफ जस्टिस?

उपराष्ट्रपति का यह बयान तब आया जब चीफ जस्टिस बीआर गवई ने रविवार को मुंबई में हुए सम्मान समारोह में नाराजगी जताते हुए कहा था कि महाराष्ट्र सरकार के प्रमुख अधिकारी मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस कमिश्नर उन्हें लेने एयरपोर्ट नहीं आए. हालांकि जब चीफ जस्टिस गवई बीआर अंबेडकर की समाधि 'चैत्यभूमि' पहुंचे तो तीनों अधिकारी वहां पर मौजूद थे.

'विचार करने की जरूरत है'

चीफ जस्टिस ने आगे कहा,'लोकतंत्र के तीन स्तंभ - न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका - बराबर हैं. प्रत्येक संवैधानिक संस्था को अन्य संस्थाओं के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए. जब ​​महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति भारत का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार महाराष्ट्र का दौरा करता है, तो अगर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस आयुक्त को उपस्थित होना उचित नहीं लगता है तो उन्हें इस पर विचार करने की जरूरत है. प्रोटोकॉल कोई नई चीज नहीं है, यह एक संवैधानिक संस्था के जरिए दूसरे को दिए जाने वाले सम्मान का सवाल है.'

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