DGCA New Rules: अहमदाबाद में बीते 12 जून को हुए Air India के विमान हादसे ने देश को झकझोर रख दिया. इस भयानक हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों के पहचान के लिए डीएनए प्रोफाइलिंग की मदद लेनी पड़ी थी. अब भारत के विमानन प्राधिकरण (IAF), नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने अहम फैसला लिया है. सभी कमर्शियल पायलट्स को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) केंद्रों पर मेडिकल टेस्ट देना अनिवार्य हो गया है.
जबकि पहले ये परीक्षण डीजीसीए द्वारा अप्रूव्ड प्राइवेट हॉस्पिटल्स या अथॉराइज्ड मेडिकल एग्जामिन्स द्वारा किए जाते थे.अब इस फैसले से एयरलाइनों में चिंता पैदा हो गई है, कई लोगों को डर है कि सख्त मिलिट्री-स्टाइल के एसेसमेंट्स से उड़ान भरने के लिए फिट माने जाने वाले पायलट्स की तादाद कम हो सकती है.
वहीं, एयरलाइन्स का कहना है कि सैन्य मानक लड़ाकू पायलट्स के लिए बनाए गए हैं, न कि वाणिज्यिक उड़ान भरने वालों के लिए. इसका नतीजा क्या होगा? एक्सपीरियंस्ड कमर्शियल पायलट्स गैर-जरूरी तौर से इन सख्त जांचों में नाकाम हो सकते हैं, जिससे पायलटों की कमी हो सकती है. चिंता को बढ़ाने वाली बात यह है कि इंडियन एयरफोर्स की मेडिकल फैसिलिटी की कैपेसिटी लिमिटेड है, जिससे पायलट्स की मंजूरी में देरी हो सकती है और उड़ान कार्यक्रम बाधित हो सकते हैं.
TOI के मुताबिक, एक सीनियर एयरलाइन अफसर ने कहा, 'वायुसेना बढ़ती नागरिक विमानन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सुसज्जित नहीं है. वैश्विक स्तर पर, नागरिक और रक्षा पायलट स्वास्थ्य जांच अलग-अलग हैं. केवल भारत अभी भी दोनों को जोड़ता है.'
वर्तमान में भारतीय पायलटों को अल्ट्रासाउंड, ट्रेडमिल परीक्षण और स्पेशल ब्लड टेस्ट जैसे अतिरिक्त परीक्षणों से गुजरना पड़ता है. वाणिज्यिक पायलट्स के लिए ये अमेरिका (एफएए के तहत) या यूरोप (ईएएसए के तहत) में अनिवार्य नहीं हैं. भारतीय पायलट संघ ने बताया कि भारतीय वायुसेना के डॉक्टर अक्सर अतिरिक्त माध्यमिक परीक्षणों की सलाह देते हैं, जिससे और ज्यादा देरी होती है और लागत बढ़ जाती है. जबकि इसकी जरूरत नहीं होती.
भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है, जो केवल अमेरिका और चीन से पीछे है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि आने वाले सालों में देश को 30,000 से ज्यादा नए पायलट्स की जरूरत होगी. उद्योग जगत की आवाज़ें देश के एविएशन डेवलेपमेंट में एक बड़े झटके से बचने के लिए नियम की तत्काल रिव्यू और संशोधन की मांग कर रही हैं.
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