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अगर हालात नहीं बदले तो.. नक्शे से गायब हो जाएगा ये प्रदेश, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कह दिया?

Supreme Court: जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि राजस्व कमाना ही उनका मकसद एकमात्र नहीं है. पर्यावरण की क़ीमत पर राजस्व अर्जित नहीं किया जा सकता.

अगर हालात नहीं बदले तो.. नक्शे से गायब हो जाएगा ये प्रदेश, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कह दिया?
Arvind Singh|Updated: Aug 02, 2025, 01:55 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बेलगाम विकास के चलते पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर गहरी चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा है कि अगर हालात में जल्द सुधार नहीं हुआ तो वो दिन दूर नहीं जब पूरा हिमाचल प्रदेश ही देश के नक्शे से 'हवा में गायब' हो जाएगा.भगवान करें कि ऐसा न हो. इसके लिए ज़रूरी है कि पर्यावरण संतुलन को कायम करने के लिए ज़रूरी कदम जल्द से जल्द उठाये जाए.

राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की
कोर्ट ने इस मामले में ख़ुद संज्ञान लेते हुए  राज्य सरकार से चार हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. कोर्ट ने  राज्य  सरकार से पूछा है कि पर्यावरण संतुलन को कायम रखने के लिए उनकी ओर से क्या कदम उठाए गए है और आगे उनकी क्या योजना है.

पर्यावरण की क़ीमत पर राजस्व वसूली नहीं
जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा है हिमाचल में पर्यावरण असंतुलन की स्थिति बद से बदतर हो गई है जिसके चलते पिछले कुछ सालों में गम्भीर प्राकृतिक आपदा झेलनी पड़ी है. केंद्र और राज्य सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि राजस्व कमाना ही उनका मकसद एकमात्र नहीं है. पर्यावरण की क़ीमत पर राजस्व अर्जित नहीं किया जा सकता.

प्रकृति नाराज पर उसे दोष देना ठीक नहीं
कोर्ट ने कहा कि हिमाचल में जो गतिविधि चल रही है. जाहिर है कि प्रकृति उनसे नाराज है. इस साल भी सैकड़ो लोग भूस्खलन और बाढ़ की वजह से मारे गए. हज़ारों संपति बर्बाद हो गई.लेकिन राज्य में विनाश के लिए सिर्फ प्रकृति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता . ये आपदाएं मानव निर्मित है.पहाड़ों का खिसकना, मकानों का गिरना, सड़क धंसना, सब इसी का नतीजा है.एक्सपर्ट का भी कहना है किराज्य में विनाश का कारण हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, फोर लेन रोड,जंगलों की कटाई और बहुँमंजिला इमारत है. हिमालय पर्वत की गोद मे बसे हिमाचल जैसे किसी भी प्रदेश में किसी डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट को मंजूरी देने से पहले पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों की राय लेना ज़रूरी है.

कोर्ट के सामने मामला क्या था?
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी राज्य सरकार की ओर से कुछ इलाकों को ‘ग्रीन एरिया’ घोषित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान की. प्रिस्टीन होटल्स एंड रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम क कंपनी ने जून 2025 की उस अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें श्री तारा माता हिल को ग्रीन एरिया घोषित किया गया था. कंपनी इस जगह पर होटल बनाना चाहती. इसलिए पहले उसने हाई कोर्ट का रुख किया..हाई कोर्ट से याचिका खरिज होने के बाद कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस नोटिफिकेशन के जारी करने का मकसद इस इलाके में निर्माण गतिविधियों को रोकना है. कोर्ट ने इस नोटिफिकेशन को जारी करने के लिए राज्य सरकार की सराहना की है लेकिन साथ ही कहा है कि यह कदम देर से उठाया गया है.

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